What Is Code of Conduct :
चुनाव के दौरान आचार संहिता क्यों लागू की जाती है ?
What Is Code of Conduct
10 मार्च 2019 को भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने लोकसभा चुनाव 2019 के कार्यक्रम को घोषित किया।औऱ इसी के साथ ही पूरे देश में आचार संहिता (code of conduct) लागू हो गई।
क्या होती है आचार संहिता ?
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराना चुनाव आयोग की जिम्मेदारी होती है।और चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग द्वारा बनाए गए नियमों को आचार संहिता (Code of Conduct) कहते हैं। अर्थात चुनाव आयोग के वो दिशानिर्देश जिनका पालन चुनाव शुरू होने से लेकर खत्म होने तक हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना ही होता है।
अगर कोई उम्मीदवार आचार संहिता के इन नियमों का पालन नहीं करता हैं तो खिलाफ कड़ी करवाई की जा सकती हैं। यहां तक कि उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज हो सकती हैं और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।
कौन लागू करता है आचार संहिता
चुनाव की घोषणा होते ही पूरे देश में आचार संहिता लागू हो जाती है। आचार संहिता को लागू करना तथा उसका पूरी तरह से पालन करवाना चुनाव आयोग का दायित्व होता है।
आचार संहिता कब से कब तक लागू रहती है ?
आचार संहिता चुनाव की घोषणा होने के साथ ही शुरू हो जाती है और चुनाव के खत्म होने तथा मतगणना पूरी होने तक यह आचार संहिता लागू रहती है। इस बार आचार संहिता 10 मार्च 2019 से 23 मई 2019 तक रहेगी। क्योकि 23 मई 2019 को पूरे देश भर में मतगणना की जाएगी।
तथा इसके साथ ही प्रत्याशियों की उनकी जीत और या हार के बारे में जानकारी दी जाएगी। चुनावों के फैसले की घोषणा होते ही आचार संहिता खत्म हो जाएगी।
कैसे हुई आचार संहिता की शुरुआत (Code of Conduct History)
- आचार संहिता (Code of Conduct) की शुरुवात सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान शुरू की गई थी।लेकिन तब इसके दिशानिर्देश सिर्फ चुनावी भाषणों व राजनीतिक सभाओं तक ही सीमित थे।
- लेकिन सन 1962 के आम लोक सभा चुनाव से पहले सभी राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टियों तथा राज्य सरकारों से इस संबंध में उनकी राय व प्रतिक्रिया मांगी गई।फिर चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों के सहयोग व सहमति से चुनाव से संबंधित दिशा निर्देशों को तैयार किया।जिन्हें “आचार संहिता / Code of Conduct” का नाम दिया गया और फिर इसे 1962 के आम लोकसभा चुनावों में लागू किया गया।
- इसके बाद सन 1979 में चुनाव आयोग ने इसमें कुछ संशोधनकर एक सेक्शन जोड़ा।ताकि कोई भी दल इसका अनुचित लाभ न ले सके।
- 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को चुनाव घोषणा पत्र के बारे में राजनैतिक पार्टीयों को दिशा निर्देश जारी करने का जारी करने को कहा। जिसके पालन 2014 के आम चुनावों के घोषणा पत्रों में किया गया।
क्या भारत में आचार संहिता एक कानून है ?
चुनाव के दौरान लगाई गयी आचार संहिता चुनाव आयोग के वो दिशा निर्देश होते हैं जिनका चुनाव में पालन करना हर राजनीतिक पार्टी तथा उसके उम्मीदवारों के लिए आवश्यक होता है।लेकिन गजब की बात यह हैं कि इसे भारत में कानूनी रूप से कोई मान्यता नहीं दी गई है।और न ही इसका संविधान में कहीं कोई जिक्र नहीं किया गया है।
आचार संहिता को कभी भी संसद में पेश कर और पास कर इसे कोई कानून का दर्जा नहीं दिया गया।फिर भी चुनाव प्रचार के दौरान इसे हर राजनीतिक पार्टी को मानना आवश्यक है।
कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं। कि चुनाव के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभा निभाने वाली आचार संहिता सभी राष्ट्रीय राजनीतिक पार्टियों तथा चुनाव आयोग की सहमति से बनाए गए दिशा-निर्देश हैं।जो उनकी ही सहमति व सुझावों के द्वारा बनाए गए हैं और सभी पार्टियों के हित को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं।
इसमें समय-समय पर जरूरत के मुताबिक और भी दिशा निर्देशों/नियमों को सम्मिलित किया गया है।
इसके अलावा “आर्टिकल 324” तथा “रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल एक्ट” के तहत भी चुनाव आयोग कुछ अधिकार दिए गए हैं।इसीलिए चुनाव आयोग देशभर में निष्पक्ष एवं स्वतंत्र चुनाव करा पाता है।
सरकारी कर्मचारी बन जाते हैं निर्वाचन आयोग के कर्मचारी
चुनाव के दौरान सभी सरकारी कर्मचारी व अधिकारी निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं। और वो पूरी तरह से आयोग के कर्मचारी के रूप में ही उसका दिशा निर्देशों का पालन करते हैं।
आचार संहिता के दौरान कुछ कार्य नहीं किये जा सकते हैं
आचार संहिता लागू (Code of Conduct) होने के साथ ही पुलिस प्रशासन व सरकार पर कई अंकुश लग जाते हैं और साथ ही साथ प्रधानमन्त्री , प्रदेश के मुख्यमंत्री या मंत्री पर भी कई पाबंदियां लग जाती हैं।वो चुनाव प्रचार के दौरान जनता के लिए कोई भी नई घोषणा नहीं कर सकता है।और न तो कोई शिलान्यास ,नहीं लोकार्पण या भूमि पूजन।
इसके साथ ही किसी नई योजना की शुरुआत भी नहीं की जा सकती है।और साथ ही विवेकाधीन निधि से किसी भी नये कार्य के लिए अनुदान या स्वीकृति नहीं दी जा सकती हैं।किसी भी नई परियोजना या योजना की आधारशिला नहीं रखी जाएगी।सड़क निर्माण पीने के पानी की सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन भी नहीं दिया जा सकता हैं।
पर्यवेक्षक की नियुक्त
सभी राजनीतिक दलों के कार्यों तथा भाषणों आदि से संबंधित चीजों पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग एक पर्यवेक्षक नियुक्त करता है।
आचार संहिता का उल्लंघन करने पर कार्रवाई
चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार द्वारा यदि आचार संहिता (Code of Conduct) का उल्लंघन किया जाता है तो पहली बार में उस प्रत्याशी को सिर्फ चेतावनी दी जाती है।दूसरी बार आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उसे प्रचार से बाहर कर दिया जाता है।और तीसरी बार उस उम्मीदवार की उम्मीदवारी रदद् कर दी जाती हैं।
चुनाव के समय के नियम (Code of Conduct Rules)
भारतीय निर्वाचन आयोग ने सभी राजनीतिक दलों तथा उनके प्रत्याशियों ,सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों ,मतदान केंद्रों तथा मतदाताओं के लिए भी कुछ नियम बनाए हैं जिनका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है।यह नियम सभी के लिए अलग-अलग हैं।
आचार संहिता का पहला व महत्वपूर्ण नियम यह है कि कोई भी प्रत्याशी किसी भी कीमत पर मतदाताओं को किसी प्रकार का प्रलोभन (शराब और पैसे या उपहार) नहीं दे सकता हैं। पूरी तरह से दड़नीय अपराध हैं।
सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए नियम
- किसी भी सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की चुनाव आयोग द्वारा चुनाव में ड्यूटी लगा दिये जाने के बाद वह अधिकारी या कर्मचारी ड्यूटी देने से इनकार नहीं कर सकता।उसे हर हाल में चुनाव में ड्यूटी देनी अनिवार्य हो जाती हैं।यह नियम सभी सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों पर लागू होता है।
- किसी विशेष परिस्तिथिति (गंभीर बीमारी या विशेष कारण) में ही सरकारी अधिकारी या कर्मचारी की चुनाव में ड्यूटी लग जाने के बाद हटाई जा सकती है।
- सरकारी कर्मचारी व अधिकारी किसी भी उम्मीदवार के एजेंट नहीं बनेंगे।या चुनाव प्रचार में किसी तरह से हिस्सा नहीं लेंगें।
- चुनाव स्थल पर सिर्फ वही अधिकारी रहेंगे जिन की ड्यूटी लगाई गई हो।अन्य अधिकारी या कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी सभा या राजनीतिक आयोजन में शामिल नहीं होगा।
- सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा किसी भी राजनीतिक दल को सभा या अन्य कामों को करने के लिए भेदभाव नहीं किया जाएगा।
- चुनाव कार्य से जाने वाले मंत्रियों के साथ अधिकारीगण नहीं जाएंगे।
राजनीतिक दलों के लिए नियम (Code of Conduct for Political Parties)
- राजनीतिक दलों की आलोचना कार्यक्रम और नीतियों तक ही सीमित रहे।राजनीतिक पार्टियां अपने प्रतिद्वंद्वियों के व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक जीवन के बारे में कोई भी गलत बात नहीं करेंगे और उनके घर के सामने किसी भी प्रकार का जुलूस या रैली नहीं निकालगे।
- धार्मिक स्थानों का उपयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा।
- कोई भी राजनीतिक दल मत पाने के लिए रिश्वत देना,मतदाताओं को परेशान जैसे कोई कार्य नहीं करेगा।
- राजनीतिक दल किसी की अनुमति के बिना उसकी दीवार या भूमि का उपयोग नहीं करेंगे।
- इस दौरान सरकारी खर्च से ऐसा कोई भी आयोजन नहीं किया जाएगा जिससे किसी दल विशेष को फायदा पहुंचता हो।
- राजनीतिक दल ऐसी कोई भी अपील नहीं करेंगे जिससे किसी की धार्मिक भावनाओं को भावनाएं आहत होती हैं।जाति और भाषाई आधार पर भाषण देकर किसी की जन भावनाओं का अपमान या आहत नहीं करेंगे।
- कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार चुनाव में धन, बल या बाहुबल का प्रयोग नहीं करेगा ।
- चुनाव के दौरान राजनीतिक दल या उम्मीदवार या नागरिकों द्वारा बड़ी मात्रा में नकदी लेकर चलने पर भी रोक हैं।
- सभी राजनीतिक दलों द्वारा जुलूस शुरू होने का समय ,शुरू होने का स्थान और मार्ग व जुलूस समाप्ति का समय, पूर्व निर्धारित होना चाहिए।प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को इसकी सूचना देनी आवश्यक है।ताकि किसी अप्रिय स्थिति से पुलिस तुरंत निपट सकें।
- लाउडस्पीकरों तथा चुनावी सभाओं द्वारा चुनाव प्रचार को मतदान के दिन से 24 घंटे पहले ही बंद करना अनिवार्य है।मगर प्रत्याशी घर-घर जाकर अपना चुनाव प्रचार कर सकते हैं।
- जुलूस से यातायात व आम लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े।इसका भी ध्यान राजनीतिक पार्टियों द्वारा रखा जाना आवश्यक हैं।
- अगर दो या दो से अधिक राजनीतिक दल एक दिन में, एक समय पर,एक ही रास्ते से जुलूस निकालना चाहते हैं। तो इसके लिए वो पहले ही आपस में बैठकर कोई ठोस समाधान निकालें।
- जुलूस को हमेशा रोड या रस्ते के दाहिनी तरफ से निकाला जाना चाहिए ताकि लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े।
- दल और या प्रत्याशी पहले से ही यह सुनिश्चित कर लें कि जो जगह उन्होंने सभा के लिए चुनी है। उस जगह पर निषेधाज्ञा लागू तो नहीं है।
- सभा स्थल में लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए पहले ही पुलिस प्रशासन से अनुमति ली जानी अनिवार्य है।
मतदान केंद्र के लिए नियम (Code of Conduct for Booth)
- मतदान केंद्रों पर मतदान कराने वाले कर्मचारियों तथा उनकी सहायता करने वाले कर्मचारियों के पास पहचान पत्र होना आवश्यक है।
- मतदाताओं को दी जाने वाली पर्ची सादे कागज में होनी चाहिए जिसमें किसी भी दल का प्रतीक चिन्ह या उम्मीदवार का नाम या उसके दल का नाम शामिल नहीं होना चाहिए।
- चुनाव के दिन प्रत्याशी अपने राजनीतिक दल का चिन्ह पोलिंग बूथ के आसपास नहीं दिखा सकते हैं।
- मतदान के दिन मतदान केंद्रों या उसके आसपास के क्षेत्रों में 24 घंटे पहले से किसी को भी शराब वितरित ना की जाए।शराब की दुकानों पूरी तरह से बंद रहेंगे।
- मतदान के दिन कैंप के आसपास भीड़ न लगाई जाए तथा कैंप साधारण से होने चाहिए।
- मतदान के दिन अगर आप कोई वाहन चलाना चाहते हैं तो उसकी परमिशन पहले से लेनी आवश्यक है।
सत्ताधारी दल के लिए नियम
- कोई भी मंत्री (केंद्र व राज्य) शासकीय दौरों के दौरान चुनाव प्रचार का कार्य नहीं करेंगे।
- सत्ताधारी दल सरकारी मशीनरी व कर्मचारियों का उपयोग अपने चुनाव प्रचार के लिए नहीं करेगा।या सरकारी गाड़ियों का प्रयोग अपने दल के हितों को बढ़ावा देने के लिए नहीं करेगा।
- हेलीपैड, विश्रामगृह, डाक बंगले और सरकारी आवास पर सभी दलों का समान रूप से अधिकार रहेगा। लेकिन कोई भी दल इन जगहों का प्रयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं करेगा।
- सरकारी धन से सरकार अपनी उपलब्धियां गिनाने वाले विज्ञापनों को नहीं दिखा सकती हैं।
- शासकीय भ्रमण पर अगर कोई मंत्री सर्किट हाउस में ठहरा हो तो उसे सुविधा दी जाएगी।लेकिन अगर वह अपने निजी भवन में ठहरे हैं तो उन्हें गार्ड नहीं जाएगा।और अधिकारी उनके बुलाने पर नहीं जाएंगे।
- कैबिनेट की बैठक नहीं होगी।
लाउडस्पीकर का प्रयोग
चुनाव में लाउडस्पीकरों के प्रयोग के लिए भी चुनाव आयोग ने निर्देश दिए हैं। इसके मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में सुबह 6:00 से रात के 11:00 तक और शहरी क्षेत्र में सुबह 6:00 से 10:00 बजे ता ही इन का प्रयोग किया जाएगा।
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