Upper class reservation क्या है ? इसका फायदा व महत्व ?

Upper class reservation ,

 सवर्ण आरक्षण 

Upper Class Reservation

भारत एक ऐसा देश है जहां पर हिंदू , मुस्लिम , सिख , ईसाई, जैन  , बौद्ध आदि अनेक धर्मो के मानने वाले लोग समान रूप से रहते हैं।भारतीय संविधान के अनुसार भारत के प्रत्येक नागरिक को चाहे वह किसी भी धर्म को मानने वाला क्यों न हो , सबको एक समान अधिकार मिले हुए हैं।

       Upper Class Reservation
           

सवर्ण आरक्षण क्यों जरूरी है ?

चाहे कोई भी जाति, धर्म क्यों न हो फिर भी हमारा समाज प्रत्यक्ष रूप से तीन वर्गों में विभाजित है। अमीर वर्ग , मध्यमवर्ग व निचला तबका । निचला तबका यानि आर्थिक रूप से पिछड़ा और मूलभूत सुविधाओं से वंचित।

आर्थिक रूप से पिछड़ा ये तबका हर धर्म में आराम से मिल जाएगा।यह तबका है गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का । अब सरकार ने भी यह माना है कि एससी , एसटी , ओबीसी के अलावा भी हमारे सवर्ण समाज(सामान्य वर्ग) में एक और जाति है और उस जाति का नाम है गरीबी जाति जो हर धर्म , हर संप्रदाय के मानने वालों में है।

शायद ही कोई धर्म या संप्रदाय ऐसा हो जो इस जाति से अछूता हो । गरीब आखिर गरीब होता हैं।जाति धर्म के आधार पर गरीबों के बीच भेदभाव नही किया जा सकता हैं । इसीलिए अंततः सरकार ने इस गरीब जाति” को सरकारी नौकरी व उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 10 % का आरक्षण देकर एक साहसिक कदम उठाया है।

आरक्षण बिल एक साहसिक कदम 

भारत सरकार ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा व साहसिक कदम उठाते हुए पिछड़े सवर्णों को आर्थिक आधार पर नौकरियां व उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 10% आरक्षण देने की मंजूरी दी है । सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया हैं।

सवर्ण आरक्षण का फायदा उठाने के लिए जरूरी प्रमाणपत्र

सवर्ण आरक्षण का फायदा उठाने के लिए व्यक्ति के पास निम्न प्रमाणपत्र होने आवश्यक हैं।

  • आय प्रमाण पत्र

आरक्षण का लाभ उठाने के लिए आय प्रमाण पत्र दिखाना अनिवार्य है । सरकार ने पहले ही साफ कर दिया कि आरक्षण का लाभ सिर्फ उन्हीं लोगों को मिलेगा जिनकी सालाना आय आठ लाख रुपए से कम है। आय सीमा (आठ लाख रुपए) का निर्धारण राज्य सरकार अपने हिसाब से निर्धारित कर लागू करेगी।

इसकी मुख्य वजह यह है कि देश के कई राज्य ज्यादा विकसित हैं तो कुछ राज्य कम।एक अध्ययन के अनुसार 9 राज्यों की 70 फ़ीसदी से ज्यादा आबादी गरीबी रेखा के नीचे जी रही है । इसीलिए नए विधेयक में इसी आर्थिक असमानता को ध्यान में रखकर ऐसा प्रावधान किया गया है।

  • जाति प्रमाण पत्र

आज से पहले सवर्णों को कभी भी जाति प्रमाण पत्र बनाने की जरूरत नहीं हुई क्योंकि इससे पहले शिक्षा हो या चाहे नौकरी की बात हो।कहीं भी सवर्णों का जाति प्रमाण पत्र नहीं मांगा जाता था।इसीलिए ज्यादातर सवर्णों के पास जाति प्रमाण पत्र नहीं होता है। लेकिन अब यदि सवर्णों को आरक्षण का लाभ लेना है तो जाति प्रमाण पत्र बनाना आवश्यक है।

  • बीपीएल कार्ड (BPL Card)

सवर्ण आरक्षण का लाभ उठाने के लिए सवर्ण व्यक्ति को इस बात को भी साबित करना पड़ेगा कि वह सवर्णों में भी पिछड़े वर्ग में आते हैं । ऐसे में अगर किसी के पास बीपीएल कार्ड है तो उसके लिए आरक्षण का लाभ उठाने में आसानी होगी।

  • पैन कार्ड (PAN Card)

पैन कार्ड क़ो अब लगभग सभी सरकारी नौकरियों एवं सेवाओं के लिए अनिवार्य कर दिया गया है।

  • आधार कार्ड (Aadhar Card) 

भारत में आधार कार्ड को अब व्यक्ति का मुख्य पहचान पत्र या भारतीय नागरिक होने के पहचान पत्र के रूप में मान्यता दे दी गई है।इसीलिए सवर्ण आरक्षण का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड होना भी बेहद जरूरी है। आधार कार्ड के जरिए किसी भी व्यक्ति की पूरी जानकारी आसानी से हासिल की जा सकती है। इसलिए इसे  अनिवार्य कर दिया है ।

  • इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax)

सवर्णों को आरक्षण का लाभ उठाना के लिए इनकम टैक्स रिटर्न के पेपर भी दिखाने होंगे । इसके लिए इनकम टैक्स रिटर्न का फॉर्म 16 मददगार होंगा क्योंकि इस  फार्म के जरिए इस बात का प्रमाण दे सकते हैं कि आप आरक्षण के पात्र हैं।

  • बैंक पासबुक (Bank PassBook)

प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत बैंक में अकाउंट होना चाहिए क्योंकि जन धन योजना के तहत उन्हें खाताधारकों को लाभ मिलता है जो आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं।

लोकसभा व राज्यसभा में सवर्ण आरक्षण बिल पास

देश में पहली बार सभी धर्मो के सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को सरकारी नौकरियां व उच्च शिक्षा में (निजी व सरकारी कालेज,केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों से संबद्ध कालेज , यूजीसी या केंद्र से सहायता लेने वाले कालेज या उनके कानूनों से संचालित होने वाले कालेज) 10 फ़ीसदी आरक्षण देने के फैसले पर नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने 7 जनवरी 2019 को मुहर लगाई थी।

इसी दिन इस फैसले की जानकारी देश को दे दी गई थी। 8 जनवरी 2019 को इसे लोकसभा में संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक ,2019 पेश किया गया । इसी दिन यह बिल लोकसभा में पास हो गया। बिल के पक्ष में 323 वोट पड़े जबकि बिल के विपक्ष में सिर्फ 3 सदस्यों ने मतदान किया।

9 जनवरी 2019 को इस बिल को राज्यसभा में पेश किया गया । इसके लिए राज्य सभा की बैठक को एक दिन के बढाया गया।लंबी बहस के बाद राज्य सभा में इस बिल को बहुमत से पास करा लिया गया । राज्यसभा में इस बिल के पक्ष में 165 बोट पड़े जबकि विपक्ष में सिर्फ 7 मत पड़े।इसी के साथ ही सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10 फ़ीसदी आरक्षण का रास्ता बिल्कुल साफ हो गया।

और इसके तुरंत बाद सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर कहा कि एक हफ्ते के अंदर 10 फ़ीसदी आरक्षण का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा । केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय एक हफ्ते के भीतर इस कानून से जुड़े प्रावधानों को अंतिम रूप दे देगा।

एक सर्वे के अनुसार सवर्ण आरक्षण के दायरे में आठ लाख रुपए से कम सालाना आय के सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की संख्या इस बक्त देश में लगभग 5 करोड़ 15 लाख हैं।

सवर्ण आरक्षण बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी

किसी भी बिल को राज्यसभा व लोकसभा में पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी आवश्यक होती है । इसीलिए संसद के दोनों सदनों में इस बिल के पास हो जाने के बाद इसे आखिरी मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया। 12 जनवरी 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए लाए गए 10% आरक्षण बिल पर अपने हस्ताक्षर कर ऐसे अपनी मंजूरी दे दी।

केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय ने आरक्षण बिल के बावत एक अधिसूचना 12 जनवरी 2019 को जारी कर कहा कि संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक ,2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गयी हैं।

एससी ,एसटी ,ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण में कोई बदलाव नही।

इस वक्त अनुसूचित जाति (एससी) , अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के लोगों के लिए आरक्षण 49.5 फ़ीसदी है। गरीब सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने वाले इस बिल के पास हो जाने के बाद भी इन जातियों को मिलने वाले आरक्षण में कोई फर्क नहीं पड़ेगा । यह आरक्षण यथावत रहेगा।

गरीब सवर्णों को मिलने वाला 10 फ़ीसदी आरक्षण इसके अतिरिक्त होगा । अभी तक अनुसूचित जाति (एससी) के लिए 15% ,अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 7.5% और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के लिए 27%  आरक्षण हैं यानी 49.5% हैं । अब आरक्षण 49.5%+10%=59.5% होगा।

संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव 

भारतीय संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की अभी तक कोई व्यवस्था या प्रावधान नही था । गरीब सवर्णों को 10 फ़ीसदी आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के लिए सरकार ने संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक के जरिये संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में बदलाव किया । इसी संविधान संशोधन के जरिये एक नया प्रावधान जोड़ा गया जो किसी भी राज्य को आर्थिक रूप से कमज़ोर नागरिकों की तरक्की के लिए एक विशेष प्रावधान करने की अनुमति देता हैं।

यह प्रावधान सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों (“आर्थिक रूप से कमजोर किसी भी नागरिक”) को सरकारी नौकरियां व उच्च शिक्षा में (निजी व सरकारी कालेज) में 10 फ़ीसदी आरक्षण देने के फैसले से जुडा हैं जिसके बाद ह़ी यह व्यवस्था लागू की गई। “आर्थिक रूप से कमजोर किसी भी नागरिक/वर्ग” की परिभाषा तय करने का अधिकार सरकार के पास सुरक्षित हैं ।

संविधान (124 वां संशोधन) विधेयक में दो अहम बदलाव 

  • उच्च शिक्षा में आरक्षण :- संविधान के अनुच्छेद 15(का सेक्शन 4 व 5 ) उच्च शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण का प्रावधान करने की अनुमति देता हैं।
  • रोजगार में आरक्षण :- सरकारी नौकरियां में भी आरक्षण का प्रावधान किया गया।

किसको मिलेगा सवर्ण आरक्षण का लाभ 

  1. 10 फ़ीसदी आरक्षण का लाभ उसी परिवार के व्यक्ति को मिलेगा जिसके पास 5 हेक्टेयर से कम कृषि योग्य भूमि होगी।
  2. आवेदक या उसके परिवार के पास 1,000 स्क्वायर फीट या उससे कम जमीन पर बना घर होना चाहिए। अग‌र कोई व्यक्ति 1,000 स्क्वायर फीट से‌ ज्यादा जमीन पर बने घर का मालिक होगा तो ऐसे व्यक्ति को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
  3. सवर्ण आरक्षण का लाभ उन लोगों को मिलेगा जिनके पास निगम में आवासीय जमीन 109 यार्ड से कम हो। इसके अलावा निगम के बाहर 200 यार्ड से कम हो।  वो भी इस आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे ।
  4. आरक्षण का लाभ पाने वाले अभ्यर्थियों के परिवार की सालाना आय आठ लाख रुपए से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
  5. किसी भी आरक्षण के प्रावधान के तहत नही आने वाले वर्गो जैसे ब्राहमण , ठाकुर , बनिये,  जाट , गुज्जर , मुस्लिम,  ईसाई , पटेल व अन्य धर्मों के गरीब आदि शामिल होगें। 
  6. इंडियन ह्यूमन डेवेलपमेंट सर्वे (IHDS) की रिपोर्ट के अनुसार सालाना आठ लाख रुपए से कम आय वाले सामान्य वर्ग के पश्चिमी बंगाल के लोगों को सबसे ज्यादा फायदा (करीब 17.2%) मिलेगा । दूसरे नंबर में उत्तर प्रदेश (13.3%) तथा तीसरे नंबर पर महाराष्ट्र (12%) को फायदा मिलने की उम्मीद हैं।

सामान्य वर्ग में भी लोग बहुत गरीब हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। यह मांग बहुत दिनों से ह़ो रही थी कि सामान्य वर्ग के जो लोग पिछड़े हैं।उनको भी आरक्षण के दायरे में लाना चाहिए और उनको भी जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

क्योंकि सामान्य वर्ग में आने वाले ऐसे बहुत से युवा हैं जो प्रतिभावान है लेकिन कई कारणों के चलते उच्च शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा ग्रहण नहीं कर पाते या सरकारी नौकरी प्राप्त करने में असमर्थ रहते हैं। ऐसे युवाओं के लिए यह एक बहुत बड़ा मौका होगा।

सवर्णों में गरीबी के कई कारण

सामान्य वर्ग के गरीबों को लंबे समय से आर्थिक परेशानियों झेलनी पड़ रही है। सामान्य वर्ग के लोगों में आर्थिक रूप से पिछड़े होने के कई कारण हैं।जैसे पहाड़ी क्षेत्र जहाँ पर युवाओं के लिए रोजगार पाने का कोई ठोस साधन नही हैं।

ऊपर से आये दिन इस क्षेत्र में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं,इन आपदाओं से होने वाला जान माल के नुकसान से इनकी आर्थिक हालत में पडने वाला असर इनकी कमर तोड़ देता हैं । सीमा के आसपास के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं । जम्मू कश्मीर में सीमा के आसपास के लोगों को हर रोज कई तरह के नुकसान उठाने पड़ते हैं व मुसीबतों का सामना करना पड़ता हैं जिससे वो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं।

देश‌ में लगातार जलवायु में परिवर्तन हो रहा है उसका भी हमारे जन जीवन व फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इसीलिए आरक्षण की व्यवस्था करना इन आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों की अब वास्तविक जरूरत है।

सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने के लिए पहले बने आयोग

पहले भी सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण देने के लिए आयोग बनाए गये थे । लेकिन आरक्षण की सीमा 50 फ़ीसदी होने के कारण उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सका । नरसिम्हा राव सरकार ने 1991 में सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 10 फ़ीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था की थी।लेकिन उसे सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहते हुए  खारिज कर दिया कि 50 फ़ीसदी से ज्यादा आरक्षण की व्यवस्था नहीं हो सकती है।

उसके बाद सरकार ने 2004 में दोबारा आयोग बनाया लेकिन उस आयोग के अध्यक्ष ने 4 महीने बाद ही इस्तीफा दे दिया  जिसके कारण वह आयोग भंग हो गया।अभी अब सरकार ने आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के लोगों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने के लिए जो संविधान संशोधन विधेयक पारित करवाया है वह बिल्कुल सही कदम है।

गुजरात बना सवर्णों को आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य

गुजरात गरीब सवर्णों को आरक्षण देने वाला देश का पहला राज्य बन गया हैं। गुजरात सरकार ने इसे राज्य में 14 जनवरी से लागू करने फैसला किया हैं।राज्य सरकार के इस फैसले से गुजरात के करीब डेढ़ करोड़ लोगों को सीधे सीधे फायदा पहुंचेगा जो गुजरात की कुल आबादी का 28% हैं।

गुजरात सरकार के बाद झारखंड व उत्तराखंड सरकार ने भी ऐलान कर दिया है कि वह भी सरकारी नौकरियां व उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए 10% आरक्षण देने व्यवस्था 15 जनवरी 2019 से लागू करेगी।

बिल से संबधित कुछ और जानकारी 

  1. यह संभवत: पहला मौका होगा जब किसी संविधान संशोधन बिधेयक को सदन के दोनों सदनों में सिर्फ दो दिन के भीतर ह़ी पास कराया गया हो।
  2. अधिसूचना जारी होने के बाद यह कानून केंद्र सरकार की नौकरियों एवं केन्द्रीय संस्थानों में होने वाले एडमिशन में मान्य होगा।
  3. जिन भी नौकरियों के विज्ञापन निकलेंगें उन सभी में 10% का आरक्षण गरीब सवर्णों को दिया जायेगा।
  4. जेईई ,नीट,सिविल सेवा जैसी परीक्षाओं में भी यह सवर्ण आरक्षण लागू होगा।
  5. सवर्ण आरक्षण संबंधी इस बिल को राज्य विधानसभाओं से पास कराने की जरूरत नहीं हैं।क्योंकि संविधान में मूलभूत अधिकारों के प्रावधान के संबध में ऐसी जरूरत नही पड़ती हैं। पदोन्नति आरक्षण के बक्त भी यही नियम लागू हुआ।                                            

गरीब गरीब होता है उसकी कोई जाति या धर्म नही होता । इसीलिए जाति धर्म के आधार पर गरीबों के बीच भेदभाव नहीं किया जा सकता है । सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए यह एक सही , साहसिक व ऐतिहासिक कदम है जो नि:संदेह प्रशंसनीय हैं। 

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