National War Memorial : राष्ट्रीय युद्ध स्मारक

National War Memorial :

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक

National War Memorial

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक,देश के अमर शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि,प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को देश के पहले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक  का उद्घाटन किया। इंडिया गेट के पास 40 एकड़ में बनाए गए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक उन वीर शहीद जवानों के प्रति सम्मान का प्रतीक है जिन्होंने आजादी के बाद देश की रक्षा के लिए अपनी जान देकर सर्वोच्च बलिदान दिया।

National War Memorial

अभी तक देश(दिल्ली )में सिर्फ एक ह़ी युद्ध स्मारक था जिसे अंग्रेजों ने प्रथम विश्व युद्ध और अफगान युद्ध में शहीद 84,000 भारतीय जवानों की याद में 1931 में (इंडिया गेट) बनवाया था। इसके बाद 1971 के युद्ध में शहीद हुए 3,843 सैनिकों के सम्मान में अमर जवान ज्योति बनाई गई लेकिन आजादी के बाद देश की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों की याद में अभी तक कोई भी युद्ध स्मारक अपने देश में नही था।

दुनिया के सभी बड़े देशों में हैं अमर शहीदों की याद में युद्ध स्मारक

दुनिया के लगभग सभी बड़े देशों में अमर शहीदों की याद में युद्ध स्मारक बने हुए हैं लेकिन भारत के पास अपने वीर शहीदों के सम्मान का प्रतीक कोई भी स्मारक नह़ी था।देश का यह पहला स्मारक हैं जिसको आजादी के बाद देश की रक्षा के लिए अपनी जान देने वाले 25,942 वीर सैनिकों के सम्मान में बनाया गया हैं। यह स्मारक देश के उन अमर शहीदों की वीरता , उनकी शौर्यगाथा और उनके त्याग व बलिदान के लिए देश की तरफ से एक सच्ची श्रद्धांजलि हैं जिनके बलिदान का ये देश सदा ॠणी रहेगा।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन सेना की परंपरा के मुताबिक हुआ 

देश के दिल दिल्ली में बने इस राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन 25 फरवरी 2019 को देश की सेना की परंपरा के मुताबिक ही हुआ। इस समारोह में पूरे सम्मान के साथ इस मेमोरियल को जवानों को समर्पित किया गया। आम चुनाव की घोषणा से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देश की सेनाओं को एक बड़ा तोहफा दिया हैं।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने देश भर से आए भूतपूर्व सैनिकों की एक बड़ी रैली को भी संबोधित किया।इस मौके पर रक्षा मंत्री , थल सेना , वायुसेना  , नौसेना के प्रमुखों के साथ साथ अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में हैं चार चक्र

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का डिजाईन महाभारत काल में कौरवों द्वारा रचे गये चक्रव्यूह की संरचना के जैसा ह़ी हैं । यह स्मारक मुख्य रूप से चार चक्रों पर केंद्रित है। अमर चक्र , वीरता चक्र , त्याग चक्र , रक्षक चक्र । इसमें थल सेना , वायुसेना , नौसेना के शहीदों को एक साथ श्रद्धांजलि दी गई है। अमर शहीदों के नाम ग्रेनाइट से बनी दीवार की ईंटों पर सुनहरे अक्षरों से लिखे गए हैं।

  1. अमर चक्र – अमर चक्र में 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ बना है। पत्थर से बने इस स्तंभ के नीचे अमर ज्योति हमेशा जलती रहेगी।जैसे अमर जवान ज्योति पर जलती हैं। यह ज्योति अमर शहीदों की अमरता का प्रतीक हैं।
  2. वीरता चक्र – यह चक्र वीर सैनिकों की बहादुरी व अदम्य साहस को दिखाता हैं। यहाँ एक ऐसी गैलरी भी हैं जहाँ की दीवारों पर सैनिकों की बहादुरी के चित्रों को उकेरा गया हैं।  इसमें 6 बड़े युद्ध के बारे में जानकारी दी गई है। गोवा मुक्ति आंदोलन (1961), भारत-चीन युद्ध (1962) , भारत पाकिस्तान युद्ध (1965) , बांग्लादेश युद्ध (1971) , सियाचिन (1987) , कारगिल (1999) युद्ध में शहीद हुए सैनिक के सम्मान का प्रतीक हैं यह चक्र। 
  3. त्याग चक्र – 25,942 योद्धाओं के नाम ग्रेनाइट पत्थर की 16 दीवारों पर त्याग चक्र विंग में सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं । ये दीवारों 2 मीटर लम्बी हैं। यह चक्र वीर सैनिकों के अभूतपूर्व बलिदान को प्रदर्शित करता हैं। 
  4. रक्षक चक्र/सुरक्षा चक्र – इस रक्षक चक्र में देश की रक्षा में तैनात बहादुर सैनिको को प्रतिविंबित करते 600 वृक्ष लगाये गये हैं । ये घने पेड़ों के पंक्तियों देश की सुरक्षा को प्रदर्शित करती हैं और ये पेड़ बहादुर सैनिको के प्रतीक हैं।जो देश के हर नागरिक को यह विश्वास दिलाते हैं कि वो हर वक्त हमारी सुरक्षा के लिए सीमा पर तैनात हैं।

आर्किटेक्ट

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का डिजाईन चेन्नई के “वीबी डिजाईन लैब” के मुखिया योगेश चंद्रहासन ने बनाया हैं।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की कुल लागत 

नेशनल वार मेमोरियल को बनाने में कुल 176 करोड़ की लागत आई।यह स्मारक एक साल के भीतर बना है जो अपने आप में रिकॉर्ड है।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के निर्माण की शुरुवात

नेशनल वार मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव पहली बार 1960 में सशस्त्र बलों द्वारा दिया गया था।लेकिन सरकारों की उदासीनता, ब्यूरोक्रेट्स व सेना के बीच गतिरोध ,कुछ राजनीतिक कारण और कुछ आर्थिक कारण हमेशा बाधक बनी रहे।केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद 2014 में इसको बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई और अक्टूबर 2015 में इस स्मारक के निर्माण को मंजूरी दी साथ ह़ी इसके लिए धनराशि भी स्वीकृत कर दी गई।

प्रिंसेस पार्क में बना मेमोरियल

यह राष्ट्रीय युद्ध स्मारक इंडिया गेट के पास स्थित प्रिंसेस पार्क(राजकुमारी पार्क) में बना है।इस प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य रक्षा सचिव की अध्यक्षता में एक सशक्त संचालन समिति की निगरानी में किया गया है।

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की अन्य विशेषताएं

  1. इंडिया गेट के पास 40 एकड़ में बने इस युद्ध स्मारक की लागत 176 करोड़ रुपए आयी है।
  2. स्मारक एक साल के भीतर बना है जो अपने आप में रिकॉर्ड है।
  3. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक चार चक्रों पर केंद्रित है।अमर चक्र, वीरता चक्र त्याग चक्र,रक्षक चक्र।
  4. अमर चक्र में 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ बना है जिसमें अमर ज्योति जलेगी।
  5. स्मारक का निचला भाग अमर जवान ज्योति जैसा ही है।
  6. इसकी दीवारों पर 25,942 योद्धाओं के नाम ग्रेनाइट पत्थर की 16 दीवारों पर त्याग चक्र विंग में सुनहरे अक्षरों में अंकित हैं।
  7. ग्रेनाइट पत्थर में योद्धाओं के नाम, रैंक और रेजीमेंट का उल्लेख किया गया है।
  8. यहाँ पर 6 बड़े युद्धों के बारे में जानकारी दी गई है।
  9. इसमें थल सेना, वायुसेना, नौ सेना के शहीदों के नाम एक साथ लिखे गये हैं।
  10. यहां “परम योद्धा स्थल” भी बनाया गया है जहां सेना के सर्वोच्च सम्मान “परम वीर चक्र” से सम्मानित 21 शहीदों की प्रतिमा लगाई गई हैं।
  11. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ एक संग्रहालय भी बनाया जा रहा हैं।दोनों के बीच एक सब-वे भी रखा गया हैं।
  12. हर सप्ताह रविवार को “चेंज ऑफ गार्ड” सेरमनी देखने का मौका मिलेगा।
  13. हर शाम को सैन्य बैंड के साथ शहीदों को नेशनल वार मेमोरियल में सलामी भी दी जायेगी।
  14. इंडिया गेट की तरह ह़ी मेमोरियल में भी हमेशा अमर ज्योति जलती रहेगी।
  15. इन सबके साथ साथ स्मारक में लगे इलेक्ट्रिक पैनल के जरिये भी जवानों को श्रद्धान्जलि दी जायेगी।
  16. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के चारों ओर सफेद दूधिया लाइटें भी लगाई गई हैं।जो इसे रात के समय और भब्य बनाती हैं।
  17. विजय चौक से इंडिया गेट और नेशनल वार मेमोरियल के सुंदर दृश्य को आराम से देखा जा सकता है।
  18. इसका निर्माण पिछले वर्ष फरवरी में शुरू हुआ था।
  19. अब से शहीदों से जुड़ें सभी कार्यक्रम राष्ट्रीय समर स्मारक में ह़ी होगें।
  20. राष्ट्रीय युद्ध स्मारक को ऐसे तैयार किया गया हैं जिससे राजपथ और इसकी भव्य संरचना के साथ कोई छेड़छाड़ ना हो।
  21.  इससे लगे प्रस्तावित नेशनल वॉर म्यूजियम के लिए उपयुक्त डिजाइन तय करने की प्रक्रिया चल रही है।इसकी शुरुआती लागत करीब 500 करोड़ रुपए है।और जिसको तैयार होने में अभी कुछ और इंतजार करना पड़ेगा।

परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्तियां

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में 21 परमवीर चक्र विजेताओं की कास्य मूर्तियां परम योद्धा स्थल पर लगाई गयी हैं।6 भुजाओं (हेक्सागोन) वाले आकार में बने मेमोरियल के केंद्र में 15.5 मीटर ऊंचा स्मारक स्तंभ बनाया गया है।इस पर भित्ति चित्र ,ग्राफिक पैनल,शहीदों के नाम और 21 परमवीर चक्र विजेताओं की मूर्तियां बनाई गई है।

21 परमवीर चक्र विजेताओं में से तीन जीवित परमवीर चक्र विजेता(नायब सूबेदार बन्ना सिंह ,रायफलमैन संजय कुमार और ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव ) स्मारक के उद्घाटन समारोह में भी शामिल हुए।                            

इंडिया गेट(1931) व अमर जवान ज्योति(1972) का निर्माण 

अंग्रेजों ने पहले प्रथम विश्व युद्ध में शहीद 84,000 भारतीय जवानों की याद में 1931 में इंडिया गेट बनवाया था।और 1971 के युद्ध में शहीद हुए 3,843 सैनिकों के सम्मान में 1972 में अमर जवान ज्योति का निर्माण किया गया था।

जलती रहेगी अमर जवान ज्योति

लेफ्टिनेंट जनरल राजेश्वर ने बताया कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में इंडिया गेट में 1972 में अमर जवान ज्योति पर जो अमर ज्योति प्रज्वलित की गई थी जो आगे भी जलती रहेगी।

फोन ऐप की सुविधा मिलेगा

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक काफी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है।इसीलिए इसमें एक फोन ऐप की सुविधा भी रखी गई है।इस ऐप के जरिए शहीद का नाम टाइप करने पर उसका स्मारक कहां है।उसकी लोकेशन का पता फोन से तुरंत चल जायेगा। यह सुविधा उन लोगों के लिए खास रहेगी जिनके गांव या जिले के सैनिक इन युद्ध में शहीद हुए हैं।और वो उनके दर्शन करना चाहते हैं।

दीवारों पर दिखेंगे युद्ध की कलाकृतियां

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की कुछ दीवारों पर कुछ पुरानी तस्वीरें लगाई गई हैं।वहीं कुछ दीवारों पर युद्ध की कलाकृतियां देखने को मिलेंगी।सियाचिन सहित कारगिल के दौरान टाइगर हिल पर कब्जा करने के वक्त की विजयी व सुंदर तस्वीरें भी दिखेंगी।

राम सुतार ने बनाये 6 कांस्य भित्ति चित्र 

स्टैच्यु ऑफ़ यूनिटी का डिजाइन बनाने वाले प्रसिद्द शिल्पकार राम सुतार ने इस स्मारक के वीरता चक्र के लिए 6 कांस्य भित्ति चित्र बनाये हैं।इन 6 कांस्य भित्ति चित्र में गंगासागर, लोंगेवाल तिथवाल,रिजांगला ,आपरेशन मेधदूत और ट्रिडेंट की जंग का उल्लेख किया गया हैं।

6 बड़े युद्ध के बारे में जानकारी दी गई है

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में 6 बड़े युद्ध के बारे में जानकारी दी गई हैं।भारत पाकिस्तान युद्ध 1947-48 के अलावा ये युद्ध हैं ..

  1. गोवा मुक्ति आंदोलन 1961
  2. भारत-चीन युद्ध 1962
  3. भारत पाकिस्तान युद्ध 1965
  4. बांग्लादेश युद्ध 1971
  5. सियाचिन 1987
  6. कारगिल 1999

72 साल का लम्बा इंतजार 

भारत 1947 में आजाद हुआ और 25 फरवरी 2019 को देश को अपना पहला नेशनल वार मेमोरियल यानि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक मिला।वो भी आजादी के लगभग 72 साल के लम्बे इंतजार के बाद।हालाँकि नेशनल वार मेमोरियल बनाने का प्रस्ताव पहली बार 1960 में सशस्त्र बलों द्वारा दिया गया था।लेकिन बन नही पाया।

अब तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक न बन पाने के कारण

राष्ट्रीय युद्ध स्मारक न बन पाने के कारण कई कारण बताये जाते हैं। 

  • मेमोरियल को दिल्ली से बाहर बनाये जाने का प्रस्ताव था जिसका सैनिक विरोध कर रहे थे।
  • दिल्ली में निर्माण स्थल को लेकर विवाद था।राजपथ को बिना छेड़े मेमोरियल कैसे बनाया जाय ये भी एक कठिन प्रश्न था।
  • सरकारों की उदासीनता, ब्यूरोक्रेट्स व सेना के बीच गतिरोध ,कुछ राजनीतिक कारण भी बराबर के जिम्मेदार थे।

यह रहेगा राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के खुलने बंद होने का समय

  1. अप्रैल से अक्टूबर तक सुबह 9:00 बजे से शाम 7:30 बजे तक,
  2. नवंबर से मार्च तक सुबह 9:00 बजे से शाम 6:30 बजे तक।
  3. पर्यटकों के लिए प्रवेश निशुल्क रहेगा।लेकिन मुख्य क्षेत्र व परम योद्धा स्थल के लिए समय निश्चित किया गया हैं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस स्मारक को विश्वस्तरीय ही नहीं,बल्कि विश्व के सर्वश्रेष्ठ स्मारकों में से एक बनाना चाहते हैं।प्रधानमंत्री ने रविवार(24 फरवरी 2019 )को “मन की बात” कार्यक्रम में युद्ध स्मारक का जिक्र करते हुए कहा था कि “भारत में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का ना होना उन्हें अक्सर दुखी व आश्चर्यचकित करता था”।

आजादी के बाद भारतीय सैनिकों ने कई बड़े-बड़े युद्धों में अपने साहस और बहादुरी के दम पर दुश्मनों को धूल चटा दी।और अपनी शौर्यगाथा को इतिहास के पन्नों में लिख कर सदा के लिए अमर हो गये।माँ भारती के उन्हीं अमर शहीदों को श्रद्धांजलि देने,युवा पीढ़ी को उनके बलिदान के बारे में बताने के लिए,अब तक देश के पास कोई भी स्मारक नहीं था।

आखिरकार 60 साल के बाद ह़ी सही …. वह दिन आ ही गया.. जब पूरा देश पहले नेशनल वाँर मेमोरियल में अपने अमर शहीदों को श्रद्धांजलि दे सकेगा।यह स्मारक देखने आने वालों के मन में निश्चित ह़ी देशभक्ति की भावना को जागृति करेगा।खास कर नवयुवकों को अपने देश की आन,बान और शान के लिए मर मिटने को प्रेरित करेगा।

सभी देशवासियों को मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अपने बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि करने का एक अवसर प्रदान करेगा। 

जय हिन्द ,जय जवान !!!!

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