Short Motivational Story in Hindi With Moral : छोटी छोटी मगर प्रेरणादायक हिन्दी कहानियों।
Story – 1
मन का विश्वास
एक महावत के घर के बाहर एक हाथी बहुत पतली सी रस्सी से बंधा हुआ था।और बड़े शांत तरीके से बैठ नरम-मुलायम घास बड़े चाव से खा रहा था।इतने में एक आदमी उधर से गुजरा।और उसने महावत से पूछा इतने ताकतवर जानवर को आपने इतनी पतली रस्सी से क्यों बांधा है ? यह तो इस रस्सी को तोड़कर कभी भी भाग सकता है।
महावत ने बड़े शांत होकर उस व्यक्ति को जवाब दिया… नहीं यह अब कभी नहीं भागेगा । व्यक्ति बड़ा आश्चर्यचकित होकर बोला हाथी तो बहुत ही ताकतवर होता है और जब यह गुस्से में होता है। तो बड़े-बड़े पेड़ उखाड़ फेंकता है और पूरे जंगल का नाश कर देता है। फिर यह पतली सी रस्सी क्यों नहीं तोड़ सकता।
महावत ने जवाब दिया जब यह बहुत छोटा था।तब मैंने इसको लोहे की मजबूत जंजीरों से बांध दिया था। तब इसने कई बार भागने की कोशिश की।लेकिन वह उन जंजीरों को नहीं तोड़ पाया। धीरे-धीरे उसके मन में यह विश्वास बैठ गया कि वह इन जंजीरों को नहीं तोड़ सकता है।सो उसने धीरे धीरे भागने की कोशिश छोड़ दी।अब मैं इसे किसी भी रस्सी से बांधू । यह उसी से बंधा रहता है। रस्सी चाहे पतली हो या मोटी।
हाथी के मन में भी यह विश्वास बैठ गया था कि वह इन जंजीरों को नहीं तोड़ सकता है। इसीलिए वह कभी भी उन जंजीरों को नहीं तोड़ पाया।आप सब ने यह कहावत तो सुनी ही होगी कि मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।
Moral of the story : मन का विश्वास
इस कहानी से भी हमें यही सीख मिलती है।कि कोई भी व्यक्ति शरीर से कितना ही ताकतवर क्यों ना हो।लेकिन अगर उसके मन में उस कार्य को करने की दृढ़ शक्ति नहीं है तो चाहे कार्य कितना ही छोटा या बड़ा क्यों न हो..वह नहीं कर सकता है। इसलिए हमें अपने मन में हमेशा यह विश्वास रखना चाहिए कि हम इस कार्य को कर सकते हैं।तभी हम उस कार्य को पूर्ण कर पाएंगे।
Story -2
आत्मसंतोष
सलेडी नाम का एक छोटा सा गांव था । एक बार उस गांव में भारी अकाल पड़ गया जिसकी वजह से धरती में एक दाना अनाज भी नहीं उगा। चारों तरफ भुखमरी छा गई लोग भूखों मरने लगे। लेकिन उस गांव का जमींदार बहुत दयालु किस्म का था । उससे गांव के लोगों की दुर्दशा देखी न गई। इसीलिए वह प्रतिदिन गांव के सभी लोगों को रोटियां बंटवाता था।
एक दिन उसने जानबूझकर एक छोटी सी रोटी बनावाई । जब रोटियां बांटी जा रही थी। तब हर कोई बड़ी-बड़ी रोटी ले लेता । कोई भी उस छोटी रोटी को लेना नहीं चाहता था। इतने में एक छोटी सी बालिका आई । उसने सोचा कि मैं तो बहुत छोटी हूं। इसलिए यह छोटी रोटी मेरे लिए काफी है। उसने तुरंत रोटी ले ली और अपने घर चली गई। घर जाकर जैसे ही बालिका ने रोटी तोड़ी तो उसमें सोने की मोहर निकली
मोहर को देख वह और उसके मां-बाप दंग रह गए। उसने काफी सोच-विचार के बाद उस मुहर को जमीदार को वापस लौट आने का सोचा और वह मोहर को लौटाने के लिए जमीदार के घर पहुंचे ।
जमीदार ने बालिका से कहा “यह मोहर तुम्हारे संतोष और सच्चाई का इनाम है । इसे तुम अपने पास रख लो”। अब यह बात सुनकर सब खुश हुए और खुशी-खुशी मोहर के साथ घर लौट आए।
Moral Of The Story
आदमी अपनी मेहनत से जितना कमा सकता है।उसे उतने में ही संतोष के साथ रहना चाहिए ।क्योंकि सुख , संतोष ही जीवन का सबसे सर्वोच्च धन है।
Story -3
महात्मा की सीख
पुराने समय की बात है।एक धने जंगल में एक खूंखार डाकू रहता था । वह जंगल से गुजरने वाले हर व्यक्ति से लूटपाट करता और उसको मार डालता था ।उसके डर से लोगों ने उस जंगल में जाना ही छोड़ दिया था। एक बार एक निडर महात्मा उस जंगल से गुजर रहे थे ।उस डाकू ने जब महात्मा को देखा तो वह अपनी तलवार लेकर उन्हें लूटने के लिए उनके सामने खड़ा हो गया । जैसे ही वह महात्मा के सामने पहुंचा तो महात्मा ने बड़े प्यार से मुस्कुराकर उसकी तरफ देखा।
महात्मा की मुस्कुराहट का डाकू पर कुछ ऐसा असर हुआ कि डाकू उन्हें मारने का साहस न कर सका । फिर महात्मा ने डाकू से कहा “जाओ जरा सामने वाले पेड़ से एक टहनी तोड़कर तो लाओ” । दौड़ा दौड़ा गया और सामने के पेड़ से एक टहनी तोड़कर लाया । महात्मा ने कहा “अब इस टहनी को पेड़ पर उसी जगह पर फिर से जोड़ कर आओ । जहां से इसे तुमने तोड़ा है”। डाकू बोला “यह असंभव कार्य है। एक बार टूटी हुई टहनी क्या दोबारा पेड़ से जुड़ सकती है । नहीं यह संभव नहीं है । मैं यह कार्य नहीं कर सकता हूं “।
तब महात्मा ने उसे समझाया कि तुम जिन लोगों को मारते हो। क्या तुम उन्हें पुनर्जीवित कर सकते हो ।डाकू सोचते हुए बोला “नहीं , यह संभव नहीं है “। तो महात्मा ने कहा “अगर तुम किसी भी व्यक्ति को मार कर उसे दोबारा जीवित नहीं कर सकते तो , तुम्हें उस व्यक्ति को मारने का क्या अधिकार है ।तुम अपनी किस शक्ति का घमंड करते हो “।
डाकू की आंखें खुल गई ।वह महात्मा के चरणों पर गिर पड़ा और उस दिन से उसने हिंसा और लूटपाट का रास्ता छोड़ भगवान को पाने का मार्ग चुना और महात्मा का शिष्य बन कर उनसे ज्ञान प्राप्त करने लगा।
Moral Of The Story
किसी ने ठीक ही कहा है तोड़ना तो बहुत आसान है । जोड़ना बहुत कठिन । एकता में ही ताकत है । इसीलिए हमें अपने लोगों को हमेशा जोड़ कर रखना चाहिए और जोड़ना ही हमारा प्रथम कर्तव्य होना चाहिए।
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