Bharat Ratna award :भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान

Bharat Ratna award :

भारत रत्न ,भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान 

Bharat Ratna Award

देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान , भारत रत्न  । एक ऐसा सम्मान जिसको पाना भारत के किसी भी नागरिक के लिए गौरव की बात हैं।यह सम्मान देश के ऐसे किसी भी नागरिक को दिया जा सकता हैं जिसने किसी भी क्षेत्र में मानव हित या देश हित के लिये उल्लेखनीय कार्य कर अपने देश का गौरव राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बढ़ाया हो।

Bharat Ratna Award

और उस नागरिक द्वारा किये गये कार्यों से देश या देश के लोगों को आगे बढ़ने में मदद मिली हो या नागरिक द्वारा मानवता के लिए किसी भी क्षेत्र में अभूतपूर्व सेवा का भाव दिखाया हो।भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किये जाने वाले इस सम्मान से 1954 से 2019 तक 48 लोगों को नवाजा जा चुका है।

भारत रत्न की स्थापना

देश के इस सर्वोच्च नागरिक सम्मान की स्थापना 2 जनवरी 1954 में भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राजेंद्र प्रसाद द्वारा की गई थी।उसके बाद भारत के दूसरे राष्ट्रपति डाँ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के साथ साथ चक्रवर्ती गोपालाचारी और चंद्रशेखर वेंकटरमण को 1954 में देश के पहले भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया था।

शुरुवात में इस सम्मान को मरणोप्रांत देने का प्रावधान नहीं था । लेकिन सम्मान स्थापना के एक साल बाद ह़ी 1955 में इस प्रावधान को जोड़ दिया गया। उसके बाद 15 व्यक्तियों को मरणोपरांत यह सम्मान प्रदान किया गया है। सुभाष चंद्र बोस को सम्मान देने की घोषणा के बाद सम्मान वापस लिए जाने के उपरांत मरणोपरांत सम्मान पाने वालों की संख्या 14 मानी जाती है। 

सभी क्षेत्रों में विशिष्ट कार्यो के लिए दिया जाता हैं सम्मान 

देश का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न किसी खास क्षेत्र तक सीमित नहीं है। राज्य , जाति , भाषा और लिंग आदि से ऊपर उठकर किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने वाले नागरिकों को , बिना किसी भेद भाव के , सिर्फ उनके उल्लेखनीय कार्यो को देखते हुए उन्हें भारत रत्न सम्मान से नवाजा जा सकता है।

दिसंबर 2011 से पहले तक सिर्फ, कला, साहित्य, विज्ञान और समाज सेवा में कार्य करने वाले लोगों को ही यह सम्मान दिया जाता था।लेकिन दिसंबर 2011 में इसमें संशोधन किया गया। उसके बाद यह सम्मान किसी भी क्षेत्र ( जैसे कला , साहित्य , विज्ञान , लेखक , उद्योगपति , राजनीति , विचारक  और समाज सेवा) में दिया जा सकता हैं।

कैसा होता है भारत रत्न 

भारत रत्न,पीपल के पत्ते के आकार के जैसा होता है जो तांबे की धातु से बना रहता हैं।इसकी लंबाई 59 मिमी,चौड़ाई 48 मिमी और 3 मिमी मोटाई होती है।इसमें सामने की तरफ प्लैटिनम धातु से सूरज का चित्र बना रहता है।

पुरे रत्न की किनारी को प्लैटिनम से बनाया जाता है। और सामने की तरफ सूरज के चिन्ह के साथ हिंदी में “भारत रत्न” लिखा होता है।इसके पीछे की तरफ अशोक स्तंभ का चित्र बना होता है। साथ में “सत्यमेव जयते” लिखा रहता है।इसके साथ एक सफेद रंग का रिबन भी होता है जिससे इसको गले में पहना जाता हैं।

लेकिन 1954 में इस तमगे का रूप ऐसा नही था।उस समय यह सम्मान 35 मिमी का एक गोलाकार स्वर्ण मेडल था।जिसमें चमकते सूर्य के चिन्ह के साथ हिंदी में “भारत रत्न” लिखा हुआ था और पीछे की तरफ अशोक स्तंभ का चित्र बना होता था। साथ में “सत्यमेव जयते” लिखा रहता था।भारत रत्न के इस रूप को एक साल बाद ह़ी बदल दिया गया।

कौन देता है भारत रत्न अवार्ड 

देश का यह सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता हैं । लेकिन इसके लिए नागरिकों के नामों का प्रस्ताव प्रधानमन्त्री के द्वारा दिया जात है। इस सम्मान को राष्ट्रपति की सहमति के बिना घोषित नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपति की सहमति के बाद ही सम्मान प्राप्तकर्ताओं के नाम की घोषणा की जाती है।

एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ह़ी यह सम्मान दिया जा सकता है।लेकिन 1999 में 4 नागरिकों को भारत रत्न सम्मान से नवाजा गया था।यह एक अपवाद हैं।            

भारत रत्न देने का आधार

भारत रत्न की स्थापना (1954) के वक्त देश के किसी नागरिक को यह सम्मान देने का आधार “देश के विशेष सेवा क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन” था।जिसको 2011 में बदलकर “मानव प्रयास के सभी क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन” किया गया। इस परिवर्तन के बाद ही भारतीय क्रिकेट जगत के महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न की उपाधि दी गई।

भारत रत्न सिर्फ एक उपाधि

भारत रत्न सिर्फ एक उपाधि है।इसमें भारत सरकार की ओर से भारत रत्न के तमगे के साथ राष्ट्रपति द्वारा साइन किया हुआ एक प्रमाण पत्र दिया जाता है।यह सम्मान प्राप्तकर्ताओं को कोई भी धनराशि प्रदान नहीं की जाती हैं।

इन वर्षों में नही दिये गये भारत रत्न 

भारत रत्न प्रतिवर्ष दिये जाय यह जरूरी नही हैं।क्योंकि सन् 1959, 1960, 1967, 1968, 1969, 1970 , 1971 , 1973 , 1974 , 1977, 1978, 1979 , 1981 ,1982 , 1984 , 1985 , 1986 , 1989 , 1993 , 1994 , 1995 , 1996 में भारत रत्न किसी को भी नहीं दिया गया।

दो विदेशियों को भी मिला भारत रत्न

भारत रत्न केवल भारतीय नागरिकों को ही मिलेगा इसका कोई प्रावधान नहीं है।इसीलिए 1954 से अब तक दो विदेशियों को भी यह सम्मान दिया गया है। इनमें पाकिस्तान के खान अब्दुल गफ्फार खान को 1987 और अफ्रीका के नेल्सन मंडेला को 1990 में दिया गया।

भारत रत्न प्राप्तकर्ताओं को मिलती हैं विशेष सुविधाएं 

  1.  भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को वीआईपी (VVIP) का दर्जा दिया जाता है।
  2. इस सम्मान से सम्मानित शख्स को कैबिनेट स्तर की रैंक के बराबर का माना जाता है तथा वह व्यक्ति संसद की बैठक और सत्र में भाग ले सकता है।
  3. आवश्यकता पड़ने पर व्यक्ति को भारत सरकार द्वारा विशेष सुरक्षा भी प्रदान की जाती है।
  4. इसके अलावा उस व्यक्ति को देश के किसी भी राज्य में स्टेट गेस्ट की सुविधा दी जाती है।
  5. इस सम्मान से सम्मानित व्यक्ति को विदेश यात्रा के दौरान भारतीय राजदूत द्वारा सुविधायें प्रदान की जाती है।
  6. भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति को जीवन भर इनकम टैक्स नहीं भरना पड़ता है।
  7. भारत रत्न पाने वालों को सरकारी महकमे सभी सुविधाएं मुफ्त में मुहैया कराते हैं।
  8. रेलवे या हवाई यात्रा पर इन लोगों को प्रथम श्रेणी की सुविधा मुफ्त में दी जाती है।
  9. सरकारी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए न्योता मिलता है।सरकार “वाँरंट ऑफ प्रिसिडेंट्स” में उन्हें जगह देती है।
  10. जिन्हें भारत रत्न मिलता है उन्हें प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति ,उपराष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री ,राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ,मुख्य न्यायाधीश ,लोकसभा स्पीकर,कैबिनेट मंत्री,मुख्यमंत्री,पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है।
  11. भारत रत्न पाने वाले अपने विजिटिंग कार्ड पर यह लिख सकते हैं “राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित” या “भारत रत्न प्राप्तकर्ता “।

प्रधानमन्त्री रहते हुए मिला भारत रत्न सम्मान

पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने देश के प्रधानमन्त्री पद पर रहते हुए ये सम्मान हासिल किया।

सिर्फ पांच महिलाओं को ही भारत रत्न

48 लोगों में से सिर्फ पांच महिलाओं को ही यह सम्मान प्राप्त हुआ है।एम.एस.सुब्बुलक्ष्मी,  इंदिरा गाँधी ,अरुणा आसफ अली, मदर टेरेसा, लता मंगेशकर हैं। 

मरणोपरांत भारत रत्न पाने वाले

लाल बहादुर शास्त्री (1966) , के.कामराज (1976) , आचार्य विनोबा भावे (1983) , एम जी आर (1988) , डॉक्टर भीमराव अंबेडकर (1990) , राजीव गांधी (1991) , सरदार वल्लभभाई पटेल (1991) , मौलाना अबुल कलाम आजाद (1992) , अरुणा आसफ अली (1997) , जय प्रकाश नारायण (1998) , गोपीनाथ बोरर्दलोई (1999) ,  मदन मोहन मालवीय (2014) ,  भूपेंद्र हजारिका (2019) , नानाजी देशमुख (2019)।

सन 1992 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारत रत्न से मरणोपरांत सम्मानित किया गया था।लेकिन उनकी मृत्यु विवादित होने के कारण पुरस्कार के मरणोपरांत स्वरूप को लेकर प्रश्न उठाया गया था।इसीलिए भारत सरकार ने यह सम्मान वापस ले लिया यह सम्मान वापस लेने का सरकार का एकमात्र उदाहरण है।

भारत रत्न से सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य 

  1. भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाले सभी सम्मानों में यह सबसे बड़ा व सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं।
  2. भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न को 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) को भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।
  3. यह प्रतिवर्ष दिया जाय ये जरुरी नही। 
  4. भारत रत्न के लिए व्यक्तियों का चुनाव करते वक्त भाषा, लिंग, राज्य, सम्प्रदाय, धर्म या जाति आदि को नही देखा जाता हैं।
  5. इस गरिमामय सम्मान प्राप्तकर्ताओं को कोई भी धनराशि प्रदान नहीं की जाती हैं।
  6. एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ह़ी भारत रत्न दिया जा सकता है।
  7. सरकार द्वारा सम्मान देकर वापस लेने का एकमात्र उदाहरण नेताजी सुभाष चंद्र बोस के सन्दर्भ में हैं।
  8. भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस पुरस्कार को 1977 में बंद कर दिया गया था।किंतु 1980 में कांग्रेस सरकार ने इसे फिर से दोबारा शुरू किया।
  9. 1980 में दोबारा शुरू होने पर इसे सर्वप्रथम मदर टेरेसा को दिया गया था।
  10.  वैज्ञानिकों में सबसे पहला पुरस्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन को दिया गया था।
  11. मरणोपरांत सर्वप्रथम लाल बहादुर शास्त्री को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
  12. अब तक 14 लोगों को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया हैं।
  13. भारत में किसी और क्षेत्र की तुलना में राजनीतिक क्षेत्र में सबसे ज्यादा 21 नेताओं को यह पुरुस्कार मिला हैं।इसमें से 17 कांग्रेस के नेता हैं।
  14.  नेहरू गाँधी परिवार के 3 सदस्यों को यह सम्मान प्राप्त हैं।
  15. भारत के प्रथम शिक्षा मंत्री “श्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ” को भारत रत्न दिए जाने की बात आई थी।तो उन्होंने यह कहते हुए मना कर दिया कि जो लोग इस चयन समिति में रहे हो उनको यह सम्मान नहीं दिया जाना चाहिए।यह सम्मान उन्हें मरणोपरांत (1992) दिया गया।

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