Kusum Yojana:
किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान (कुसुम) योजना
Kusum Yojana
केंद्र सरकार ने 2022 तक किसानों की आय को दुगनी कर उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करके उनके जीवन स्तर को सुधारने का लक्ष्य रखा है । इसीलिए सरकार ने किसानों के हित व जरूरत को ध्यान में रखते हुए अनेक योजनाओं की शुरूआत की है।
एक तरफ जहां सरकार प्रधानमन्त्री किसान सम्मान निधि योजना लागू कर किसानों को कृषि उपकरण , बीज व खाद खरीदने के लिए 6000/-रूपये की धनराशि उनके बैंक अकाउंट में तीन किस्तों में सीधे ट्रांसफर कर रही है तो वहीं दूसरी ओर किसान ऊर्जा एवं उत्थान महाअभियान (कुसुम योजना) की घोषणा कर उनकी फसल की सिंचाई में होने वाली बिजली , पानी की समस्याओं का स्थाई निदान करने का प्रयास कर रही है।
किसानों को करना पड़ता हैं अनेक मुश्क़िलों का सामना
हाल के वर्षों में मौसम चक्र में आए बदलाव के कारण किसानों को अपनी फसल की सिंचाई के लिए बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। कभी समय पर बारिश के न होने से सूखे जैसे हालात का सामना करना पड़ता हैं तो कभी अत्यधिक बारिश से आने वाली बाढ़ से फसलों को नुकसान पहुँचता हैं । कभी बिजली न होने की वजह से सिचांई समय से नह़ी हो पाती हैं।
और इस स्थिति का सामना करना किसानों की मजबूरी बन गई है।फसलों के नुकसान की वजह से उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है।किसानों की इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए “किसान ऊर्जा एवं उत्थान महाअभियान (कुसुम योजना)” की शुरुआत की है।
कुसुम योजना के तहत किसान ना सिर्फ अपने खेतों में सोलर पंप लगाकर सिंचाई कर सकेंगे । बल्कि अपनी बंजर पडी भूमि पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली पैदा कर सकेंगे और अतरिक्त बिजली को बेच कर कमाई भी कर सकेंगे । वो भी सोलर प्लांट की कुल कीमत का सिर्फ 10% धनराशि खर्च कर।
कुसुम योजना का लक्ष्य
केंद्र सरकार में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा आम बजट 2018-19 में कुसुम योजना का ऐलान किया गया था। इस योजना के तहत वर्ष 2022 तक देश के तीन करोड़ सिंचाई पंपों को डीजल या बिजली के स्थान पर सौर ऊर्जा से चलाए जाने का लक्ष्य रखा है।
कुसुम योजना का मुख्य उद्देश्य
- अन्य देशों के मुकाबले भारत में सौर उर्जा का उपयोग बहुत कम किया जाता हैं। सौर उर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना मुख्य उद्देश्य हैं।
- अभी तक भारत में सिंचाई के लिए ज्यादातर बिजली के पंपों का उपयोग किया जाता हैं।बिजली से चलने वाले पंपों के बजाय सौर उर्जा से चलने वाले पंपों का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना।
- भारत में किसानों को सिंचाई के लिए बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है।केंद्र सरकार की कुसुम योजना के जरिए किसान अपनी जमीन पर सौर ऊर्जा संयंत्र और पंप लगाकर अपने खेतों की सिंचाई कर सकेंगे।
- कुसुम योजना की मदद से किसान अपनी बंजर पडी भूमि पर सौलर पैनल लगाएंगे।और सोलर पैनल से बनने वाली बिजली का उपयोग खेती के लिए कर सकेंगे। किसान की जमीन पर बनने वाली अतरिक्त बिजली से गांवों के घरों को रोशन किया जायेगा।
- किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में किसानों के बिजली व पानी से संबंधित समस्याओं का समाधान करना है।
- आय के नये स्रोत पैदा कर उनके जीवन में आर्थिक स्तर में बदलाव लाना है।
- गांवों को 24 घंटे निर्बाध बिजली उपलब्ध कराना।
- कृषि क्षेत्र में उपयोग होने वाले सभी सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चला कर 28 हजार मेगावाट बिजली की बचत करना।
- योजना से होने वाली बिजली एवं डीजल की बचत को अन्य क्षेत्रों में उपयोग किया जायेगा।
- कुसुम योजना के तहत वर्ष 2022 तक देश के तीन करोड़ सिचांई पंपों को सौर ऊर्जा से चलाये जाने का लक्ष्य है।
योजना का बजट
सरकार ने 19 फरवरी 2019 को किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान कुसुम योजना को शुरू करने की मंजूरी दी । इस योजना के लिए केंद्र सरकार 34,422 करोड़ रुपए का वित्त उपलब्ध कराएगी। इसका मकसद 2022 तक 25.75 गीगावाट की सौर ऊर्जा क्षमताओं का दोहन कर किसानों को वित्तीय , बिजली और जल सुरक्षा उपलब्ध कराना है।
एक अनुमान के अनुसार कुसुम योजना पर लगने वाले सौर उपकरणों का कुल खर्चा लगभग 1.40 लाख करोड़ रूपये होगा। जिसमें केंद्र सरकार 48 हजार करोड रुपए का योगदान करेगी।और इतनी ही राशि राज्य सरकार भी देगी।किसानों को के तहत सोलर पंप की कुल कीमत का सिर्फ 10% ही खर्चा ही उठाना होगा।
कुसुम योजना के लिए करीब 45 हजार करोड रुपए का इंतजाम सरकार बैंक लोन के माध्यम से करेगी । सरकार इस योजना को सफल बनाने के लिए किसानों की हर संभव मदद करेंगी।
अगर कोई उपकरण 10,000 रूपये का हैं तो
केंद्र सरकार – 3,000 (30%),
राज्य सरकार – 3,000 (30%),
बैंक लोन – 3,000 (30%) ,
किसान – 1,000 (10%) रूपया खर्च करना होगा।
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया।जिसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्रों से 10,000 मेगावाट के भूमि के ऊपर बनाए गए विकेंद्रीकृत ग्रिडों को जोड़ने,17.50 लाख सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों को लगाने और 10 लाख ग्रिड से जुडे सौर ऊर्जा चालित कृषि पंपों का सौरकरण करने का काम किया जायेगा।
कुसुम योजना का लक्ष्य 2022 तक 25,750 मेगावाट सौर क्षमता को जोड़ना है।इसके योजना के लिए केंद्र सरकार कुल 34,422 करोड रुपए की वित्तीय सहायता देगी।
कुसुम योजना से फायदा
किसानों को अपनी फसल की सिंचाई के लिए आये दिन बिजली और पानी की समस्याओं से जूझना पड़ता है इन समस्याओं का स्थाई निदान हो जाएगा।
- इस योजना के तहत किसान अपनी बंजर भूमि में सोलर प्लांट लगा कर उसे अपनी कमाई का जरिया बना सकते हैं।
- कुसुम योजना से वायुमण्डल में प्रदूषित गैसों के साथ साथ कार्बन डाइऑक्साइड में भी कमी आएगी।जिससे वायुमंडल और लोगों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- योजना के तीन घटकों को सम्मिलित करने में पूरे वर्ष में कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 2.7 करोड टन की कमी आएगी।
- सौर कृषि पंपों से प्रतिवर्ष 1.2 अरब लीटर डीजल की बचत होगी।
- किसानों को दो तरह से फायदा होगा।एक तो उन्हें सिंचाई के लिए मुफ्त में बिजली मिलेगी।दूसरा अगर वह अतिरिक्त बिजली बनाकर ग्रिड को बेचते हैं।तो उनकी अच्छी खासी कमाई हो जाएगी और उनके आय में वृद्धि होगी।
- कुसुम योजना से किसान अपने ही क्षेत्र में बिजली पैदा कर गांव में 24 घंटे बिजली उपलब्ध करायेगे।
- इससे तेल के आयात में खर्च होने वाली विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी।
- कुसुम योजना में बेरोजगार नवयुवकों के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा होंगे।
- स्वरोजगार में वृद्धि होगी।इसके साथ ही कुशल व अकुशल श्रमिकों के लिए 6.31 लाख रोजगार के नए अवसरों के सृजन होने की संभावना है।
- कुसुम योजना के तहत किसान केंद्र एवं राज्य सरकार की मदद से सौर ऊर्जा उपकरण अपने खेत में लगाकर फसल की सिंचाई के लिए बिजली व पानी की समस्या से निदान पा सकेंगे।
- यह अभियान मुख्य रूप से बिजली संकट से जूझ रहे इलाकों को ध्यान में रखकर शुरू की गई है।
कुसुम योजना में होगा दो चरणों में काम
कुसुम योजना में सौर उपकरणों को लगाने का काम दो चरणों में किया जाएगा।
पहला चरण
कुसुम योजना के पहले चरण में किसानों के सिर्फ उन सिंचाई पंपों को शामिल किया गया है जो अभी डीजल से चल रहे हैं।एक अनुमान के मुताबिक इस तरह के 17.5 लाख सिंचाई पंपों को सौर ऊर्जा से चलाने की व्यवस्था की जाएगी।
इससे डीजल की खपत में कमी होगी और कच्चे तेल के आयात पर रोक लगेगी।कुसुम योजना के तहत केंद्र सरकार पहले चरण में देशभर में 27.5 लाख सोलर पंप सेट मुफ्त दे रही है। कुसुम योजना इस साल जुलाई से शुरू हो चुकी है।
दूसरा चरण
कुसुम योजना के दूसरे चरण में सरकार किसानों को उनके खेतों के ऊपर या खेतों की मेड़ पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा बनाने की छूट देगी।इस योजना के तहत 10,000 मेगावाट के सोलर एनर्जी प्लांट किसानों की बंजर भूमि पर लगाए जाएंगे। जिससे किसान अपनी सिंचाई के लिए बिजली बना सकेंगे और अतिरिक्त बिजली को बेचकर कमाई भी कर सकेंगे
किसान को खर्च करनी होगी सिर्फ 10% धनराशि
कुसुम योजना के तहत सोलर पैनल लगाने के लिए किसानों को उपकरण की कीमत का 10% धनराशि ह़ी खर्च करना होगा।बाकी धनराशि में 30% केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी के तौर पर दिया जाएगा। 30% राज्य सरकार द्वारा सब्सिडी के तौर पर दिया जाएगा और शेष 30% किसान बैंक से लोन ले सकते हैं। बैंक से लोन लेने में भी सरकार किसानों की हर संभव मदद करेगी।
कितना होगा बिजली का उत्पादन
सरकार का मानना है कि अगर देश के सभी सिंचाई पंपों में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल होने लगेगी तो बिजली की बचत तो होगी ही साथ ही साथ 28,000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन भी संभव हो सकेगा।
कुसुम योजना के अगले चरण में सरकार किसानों को उनके खेतों के ऊपर या खेतों की मेड़ पर सोलर पैनल लगा कर सौर ऊर्जा बनाने की छूट देगी। कुसुम योजना के तहत 10,000 मेगा वाट के सोलर एनर्जी प्लांट किसानों की बंजर भूमि पर लगाए जाएंगे।
दो विकल्प (Two Options)
सरकार के तरफ से कुल 27.5 लाख सौर पंप सेट दिए जाएंगे।
- जिन इलाकों में बिजली ग्रिड नहीं है ।वहां कुसुम योजना के तहत किसानों को 17.5 लाख सौर पंप सेट दिए जाएंगे।
- जिन जगहों पर बिजली ग्रिड है वहां किसानों को 10 लाख पंपसेट दिए जाएंगे।
कितनी मिलेगी कुल सब्सिडी
केंद्र सरकार किसानों के बैंक खाते में सब्सिडी की रकम देगी।सौर ऊर्जा के लिए प्लांट बंजर भूमि पर लगाए जाएंगे।सरकार किसानों को सब्सिडी के रूप में सोलर पंप की कुल लागत का 60% रकम देगी।बाकी 30% बैंक लोन की व्यवस्था करेगी और सिर्फ 10% किसान खर्च करेगा।
कुसुम योजना के बारे में अधिक जानकारी के लिए.. https://more.gov.in
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