प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है हिन्दी निबन्ध
Hindi Essay On All love is expansion and all selfishness is contraction – Swami Vivekananda प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है पर हिन्दी निबंध स्वामी विवेकानन्द – प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है Hindi Essay On All love…