Little Story For Kids : छोटे बच्चों के लिए दो छोटी छोटी मगर प्रेरणादायक कहानियों
बुद्धिमान सेठ
Little Story For Kids
राजगृह में एक बुद्धिमान सेठ रहता था।सेठ के पास अकूत धन दौलत व जमीन जायजाद थी।और उसका घर हमेशा अनाज से भरा रहता था।सेठ के चार पुत्र व चार पुत्रवधुएं थीं।एक दिन अचानक उसकी पत्नी का निधन हो गया था।अब सेठ बड़ा ही चिंतित रहने लगा।वो भी अपनी सारी जिम्मेदारियों को अपने बेटे बहू के कंधों पर डाल कर अब मुक्त हो जाना चाहता था।
लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह चारों में से किसे जिम्मेदारी दे। क्योंकि वह चाहता था कि उसकी इतनी मेहनत से कमाई हुई जमीन-ज्यादा , धन दौलत किसी समझदार व्यक्ति के हाथों में जाए , ताकि वह सुरक्षित रह सके।
एक दिन वह यूं ही सोच में बैठा था कि अचानक उसे एक तरकीब सूझी। उसने चारों बहुओं को अपने पास बुलाया और कहा “तुम चारों को मैं धान के 10-10 दाने देता हूं। इन्हें संभाल कर रखना और जब भी में मांगू उन्हें मुझे वापस लौटा देना”।चारों बहुओं ने सेठ से धान के दाने ले लिए।
सबसे बड़ी बहू ने सोचा कि अपने घर के भंडार में बहुत धान भरा हुआ है। जब भी ससुर जी मांगेंगे मैं वहां से लाकर 10 दाने धान के ससुर जी को दे दूंगी। इसलिए उसने उन दानों को यूंही कूड़े में डाल दिया।
दूसरी और तीसरी ने भी यही सोचा।लेकिन चौथी बहू समझदार थी। उसने सोचा क्यों ना मैं इन 10 दानों को खेत में रोप दूँ और उसने ऐसा ही किया। उसके बाद उन 10 दानों से जो फसल पैदा हुई। उसने फिर से उन सभी को दुबारा खेत में रोप दिया। इस तरह एक दिन उन 10 दानों की फसल से एक पूरा कोठार भर गया।
करीबन 5 वर्ष बाद सेठ ने अपनी चारों बहुओं को अपने पास बुलाया और उनसे धान के 10 दाने वापस मांगे। तीन बहुओं ने तो धान के 10-10 दाने ससुरजी को लौटा दिए। लेकिन चौथी बहू ने कहा “पिताजी अब मैं धान के 10 दाने वापस नहीं कर सकती। क्योंकि अब वो एक कोठार में बंद है और जिसे लाने में मैं असमर्थ हूं। सारी बात जानकर सेठ बड़ा प्रसन्न हुआ।और उसने छोटी बहू को ही घर का मालकिन बना अपनी पूरी जिम्मेदारी उसे सौप दी।
Moral of the Story
जिस तरह धान के कुछ बीज रोपने से कोठार भर फसल पैदा हो जाती है।उसी तरह ज्ञान को भी लगातार बढ़ाने से उसमें बृद्धि होती रहती है। इसीलिए व्यक्ति को जहां से भी ज्ञान या विद्या धन मिले। तुरंत ले लेना चाहिए। और अपने ज्ञान में लगातार बृद्धि करते रहना चाहिए।
मंगल कामना
महात्मा बुद्ध ज्ञान प्राप्त करने के बाद लगातार बौद्ध भिक्षुओं और अन्य लोगों को उपदेश देते रहते थे। और उन्हें हमेशा सदमार्ग पर चलने को प्रेरित करते थे।एक बार महात्मा बुद्ध ने सभी बौद्ध भिक्षुओं को उपदेश दिया कि वो जिसके पास से भी गुजरे , उसकी मंगल कामना करते हुए गुजरें।
सभी बौद्ध भिक्षु महात्मा बुद्ध की आज्ञा अनुसार जिसके भी पास से गुजरते थे। उसकी मंगल कामना करते हुए जाते थे। अब चाहे वह कोई इंसान हो या पेड़-पौधा या फिर कोई जानवर या पशु पक्षी क्यों न हो। सभी की मंगल कामना करते हुए उसके पास से गुजरते थे।
सभी बौद्ध भिक्षु महात्मा बुद्ध की आज्ञा अनुसार ऐसा ही करने लगे। लेकिन सबके मन में जिज्ञासा थी कि आखिर महात्मा बुद्ध ने उनसे ऐसा करने को क्यों कहा। एक दिन एक शिष्य महात्मा बुद्ध के पास गया और उनसे पूछा “हे गुरुदेव , आपने हमसे चौबीसों घंटे , जिसके पास से भी हम गुजरें , उस की मंगल कामना करने को क्यों कहा। कृपया हमारी जिज्ञासा का समाधान कीजिए”।
बुद्ध ने मुस्कराते हुए जबाब दिया “इससे तुम्हें दो फायदे होंगे। पहला तो यह कि तुम्हारे मन में किसी के लिए भी बुरे ख्याल नहीं आएंगे।जिससे तुम्हारे अंदर की शक्तियां क्षीण नहीं होगी।
दूसरा फायदा यह कि जब तुम किसी के लिए मंगल कामना करोगे तो तुम्हारे अंदर सकारात्मकता आएगी और तुम्हारे सकारात्मक विचारों की प्रतिध्वनि दूसरे के मस्तिष्क तक पहुंचेगी। जिससे वह भी तुम्हारे हित के बारे में ही सोचेगा।
इसीलिए “हे भंते , तुम हमेशा दूसरों की मंगल कामना की सोचो। ताकि तुम्हारे अंदर के सकारात्मक विचार दूसरों के मस्तिष्क तक पहुंचे और वह भी हमेशा तुम्हारी मंगल कामना की ही सोचे”।
Moral of the Story
इस कहानी से यह संदेश मिलता है कि कभी भी किसी का बुरा मत सोचो। सकारात्मकता और नकारात्मकता दोनों की प्रतिध्वनि सामने वाले व्यक्ति के मस्तिष्क तक अवश्य पहुंचती हैं।
अगर आप किसी व्यक्ति के बारे में नकारात्मक बातें अपने मन में लाएंगे तो एक न एक दिन उस व्यक्ति तक आपके मन की नकारात्मक बातें पहुंच ही जाएंगी और वह भी आपके बारे में बुरा सोचने लगेगा। लेकिन इसके विपरीत अगर आप किसी व्यक्ति के बारे में सकारात्मक विचारों को रखते हैं तो वह व्यक्ति भी आपके लिए कभी भी अपने मन में बुरा ख्याल नहीं लाएगा।
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