Little Stories For Kids : जीभ और दाँत व असली वारिस 

2 Little Stories For Kids : छोटे बच्चों के लिए 2 छोटी कहानियों

कहानी – 1 

जीभ और दाँत 

Little Stories For Kids

चीन में एक महान दार्शनिक पैदा हुए जिनका नाम था कन्फ्यूशियस।कन्फ्यूशियस जीवन भर अपने शिष्यों को उपदेश देकर सदमार्ग पर चलने को प्रेरित करते थे।लेकिन जब कन्फ्यूशियस अपने जीवन के आख़िरी पड़ाव पर पहुंचे तो , उनके अनेक शिष्य उनके अंतिम दर्शनों के लिए उनके पास आये। 

कन्फ्यूशियस ने अपनी मृत्यु को नजदीक आता देख अपने एक प्रिय शिष्य को अपने पास बुलाया। तथा अपना मुंह खोल कर उससे कहा “जरा गौर से देखो , मेरे मुंह में जीभ है या नहीं”।शिष्य ने विनम्रता से उत्तर दिया “जी गुरूजी , मुंह में जीभ तो है”।

इतने में कन्फ्यूशियस ने दूसरा प्रश्न पूछा “दुबारा गौर से देखो , मेरे मुंह में दांत हैं कि नहीं”।  शिष्य ने मुंह के अन्दर देख कर कहा “नहीं , दांत तो एक भी नहीं है”। कन्फ्यूशियस ने मुस्कराकर शिष्य के तरफ देखा और कहा “जीभ मेरे पैदा होने के समय थी और आज भी है।लेकिन दांत मेरे मुंह में बाद में आए और आज एक भी दांत मेरे मुंह में नहीं है।जानते हो ऐसा क्यों हुआ।” 

शिष्य ने विनम्रता से उत्तर दिया “नहीं  गुरूजी”। कुछ देर चुप रहने के बाद कन्फ्यूशियस ने जबाब दिया “जीभ कोमल और मीठी वाणी बोलने वाली होती है।इसीलिए यह जीवन भर हमारे शरीर का अभिन्न अंग बनी रहती है। और यह जीवन के अंतिम क्षणों तक भोजन , पानी को हमारे शरीर तक पहुंचा कर उसको भी पुष्ट करती है।

लेकिन दांत कठोर होते हैं। और 32 होते हुए भी हमारे शरीर का अभिन्न अंग नहीं बन पाते हैं।इसीलिए जीभ हमें यह शिक्षा देती हैं कि तुम सभी जीव जीभ की तरह कोमल और सरस बनकर अंतिम समय तक अपने देश व समाज की सेवा करते रहो”। इतना कहते ही कन्फ्यूशियस ने अपनी आंखें मूंद ली। आगे चलकर कन्फ्यूशियस के सभी शिष्यों ने गुरु के बताए उपदेशों का पालन करने का संकल्प लिया। 

Moral of the Story 

मधुर वाणी बोलने वाला व्यक्ति और मधुर व्यवहार करने वाला व्यक्ति सदा सबका प्रिय रहता है।  और हमेशा समाज में एक सम्मानीय स्थान पाता है।जबकि कठोर बचन बोलने वाला व्यक्ति सदा समाज में उपेक्षित ही रहता है। अत: हम सभी को लोगों के साथ मधुर व्यवहार करना चाहिए और  हमें कभी भी कटु बचन नहीं बोलने चाहिए। 

असली वारिस 

कहानी – 2  

एक गांव में एक आदमी रहता था जो बहुत ही सज्जन था। वह हमेशा असहाय और गरीब लोगों की मदद करता रहता था।उस व्यक्ति के दो बेटे थे। लेकिन एक दिन अचानक दिल का दौरा पड़ने से उस व्यक्ति का निधन हो गया।सभी गांव वाले उसके अचानक यूँ चले जाने से दुखी थे। गांव के लोग जब उसकी अर्थी श्मशान ले जाने जाने लगे तो एक आदमी दौड़ा दौड़ा आया। और उसने गांव वालों से अर्थी को वही रोकने के लिए कहा । सभी लोग उसकी तरफ आश्चर्यचकित होकर देखने लगे।

तभी वह आदमी जोर जोर से बोलने लगा। “जो व्यक्ति मरा है। उसने मुझसे 10 लाख रुपए उधार लिए थे।अब जब तक मुझे मेरी उधारी वापस नहीं मिल जाती , तब तक मैं इस अर्थी को यहाँ से उठाने नहीं दूंगा।”

यह बात सुनकर सभी हैरान थे। लेकिन वह व्यक्ति अपनी बात पर अड़ा रहा और उसने मृतक की अर्थी को उठने नहीं दिया। उसने मृतक के दोनों बेटों से कहा कि वो उसका कर्जा वापस दे दें।  लेकिन दोनों बेटों ने कहा कि उनके पिता ने कभी भी अपने जीते जी उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं दी थी । इसीलिए वो इस कर्ज को चुका पाने में असमर्थ हैं। जब बेटे उधार नहीं चुका रहे थे तो मृतक का भाई भला क्यों चुकाता। सो उसने भी बहाना बनाकर इस बात से पल्ला झाड़ लिया।इसी तरह सारे रिश्तेदार एक-एक कर मुकरने लगे। 

अब सारे गांव वाले तमाशबीन होकर यह तमाशा देख रहे थे। धीरे-धीरे यह बात अंदर रो रही महिलाओं तक पहुंची । तभी उनमें से एक महिला दौड़कर बाहर आई और उसने अपने सारे जेवर उतारकर उस व्यक्ति के आगे रख दिए और जो भी उसके पास नकदी थी। वह भी उसने उसे दे दी और बोली “भाई , अभी आप मेरे पिता की अर्थी उठने दीजिए।मैं अपने पिता द्वारा लिया गया उधार का एक-एक पैसा आपको चुका दूंगी। आप मेरी बात का विश्वास रखें”। फिर उस महिला ने बड़े शांत स्वभाव में कहा ” मैं मृतक की बेटी हूं। और मैं आपको वचन देती हूं कि मैं अपनी मृत्यु से पहले आपका एक-एक पाई चुका दूंगी”।

यह बात सुनकर वह व्यक्ति भीड़ की तरफ मुखातिब होकर बोला “मुझे मृतक का असली वारिस मिल गया हैं। दरअसल मुझे इस व्यक्ति से 10 लाख रुपए लेने नहीं थे। बल्कि इस व्यक्ति को 10 लाख रुपए देने थे। और मैं यह नहीं जानता था कि इस मृतक का असली वारिस कौन है। लेकिन अब मुझे पता चल गया कि मुझे मृतक से उधार ली हुई रकम किसे वापस करनी है”।

यह कहकर उसने अपने बैग से 10 लाख रुपए निकालकर उस महिला के हाथ में रख दिए और  बोला “आज मैं अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गया हूं । मृतक के असली वारिस को मैंने उसका उधार वापस कर दिया है”। यह कहकर वह व्यक्ति वहां से चला गया। 

Moral of the Story 

जैसे हम अपने माता पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति के स्वाभाविक अधिकारी होते हैं।उसी तरह हम उनकी जिम्मेदारियों के भी उत्तराधिकारी होते हैं। अत: उनके जाने के बाद हमें उनकी जिम्मेदारियों भी ईमानदारी पूर्वक निभानी चाहिए। 

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