Inspirational Story For Women : सफल गृहणी या सुखी गृहणी 

Inspirational Story For Women : सफल गृहणी या सुखी गृहणी 

सफल गृहणी या सुखी गृहणी 

Inspirational Story For Women

अभी शाम के 6:00 बजे हैं और ट्रेन चलने के साथ-साथ बाहर का नजारा भी बदलता जा रहा है। गेहूं के खेतों की हरियाली व शाम को ढलता हुआ सूरज एक अलग ही एहसास करा रहा है। छुक- छुक चलती ट्रेन के अंदर एक अजीब सी शांति फैली है लेकिन मेरे अंदर उथल- पुथल मची हुई है और मैं एकाएक आज से कुछ वर्ष पूर्व की यादों में खो गई।

Inspirational Story For Women :सफल गृहणी या सुखी गृहणी 

यादों के झरोखे से देखा तो मेरे सामने खड़ी थी एक बहुत ही सुंदर प्यारी दुबली पतली सी लड़की जिसके सुंदर घने लंबे बाल थे जिसको फैशन -फैशन के कपड़े पहनने का बहुत शौक था। हमेशा जींस पैंट व हाई हील की सैंडल पहना करती थी। खाने-पीने की बहुत शौकीन थी लेकिन फिर भी सावधानी से खाती थी ताकि उसका वजन बढ़ जाए । हर तरफ से अपने को फिट व सुंदर रखने की शौकीन वह लड़की एक कुशल नृत्यांगना व गायिका भी थी।

हम स्कूल से कॉलेज तक साथ ही पढ़ते थे लेकिन कॉलेज पूरा होने के साथ ही उसकी शादी एक दूसरे शहर में हो गई। इस वजह से उसका और मेरा मिलना जुलना बहुत कम हो गया लेकिन हम दोनों फोन से कभी-कभार संपर्क में रहते थे । वक्त के साथ साथ हम अपनी-अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गए।

आज वर्षों बाद मुझे उसके शहर में किसी काम से जाना पड़ा । मैंने उसको फोन के माध्यम से यह बात बतायी। वह जिद पकड़ बैठी कि मैं उसके घर आकर रुकूं । बहुत सोच विचार के बाद मैं उसकी जिद के आगे झुक कर उसके घर रुकने को तैयार हो गई।

मैं टैक्सी से करीब 12:00 बजे उसके घर पहुंची। घंटी बजाने पर दरवाजा खुला तो सामने खड़ी थी। एक महिला जिसके माथे पर बड़ी सी बिंदी, गले में काफी भारी भरकम मंगलसूत्र। बाल जुड़े में कसे हुए , हाथ लाल रंग की चूड़ियों से भरे हुए । हलके पीले रंग की साड़ी पहने हुए वह महिला जो अपनी उम्र से करीबन 10 साल बड़ी लग रही थी और जिसका वजन काफी बढ़ा हुआ था।

एकाएक मैं उसे पहचान ही नहीं पायी कि यही कंचन है लेकिन वह मुझसे बड़े प्यार से मिली और मुझे अंदर ले गई । नहाने धोने के बाद लंच के लिए उसने मुझे बुलाया । लंच में उसने बहुत शानदार व स्वादिष्ट व्यंजन बनाए थे। अब वह एक अच्छी कुक बन चुकी थी। खाना खत्म होने के बाद उसने हम सब को आइसक्रीम बाँटी।

लेकिन मैंने देखा उसने परिवार के हर सदस्य का हिस्सा बनाया था । बेटा और बेटी का हिस्सा कुछ ज्यादा ही बड़ा था और सबसे बड़ी बात कि उसने अपने लिए बहुत थोड़ा सा बचाया हुआ था । यूं कहूं कि पैकेट में जो चिपका हुआ था वही बचा था तो गलत नहीं होगा ।

मैंने पूछा कि तुम्हारे लिए तो है ही नहीं । कंचन बोली कि “मेरे बच्चों को आइसक्रीम बहुत पसंद है। इसलिए मैंने उनको ज्यादा दे दिया”। मैंने बोला कि “वह तो ठीक है लेकिन तुम्हारा भी तो हिस्सा होना चाहिए”। कंचन बोली “बच्चों ने खाया या मैंने खाया एक ही बात है। वैसे भी हमारे घर में आइसक्रीम आती रहती है। अगली बार खा लूंगी”।

मुझे यह सुन कर और देख कर बड़ा अजीब लगा कि क्या उसको सच में आइसक्रीम खाने की इच्छा नहीं थी या बच्चों की वजह से उसने अपना मन मार लिया था। वह चाहती तो ज्यादा ना सही लेकिन थोड़ा सा अपना हिस्सा तो बना ही सकती थी । आखिर उसे भी तो आइसक्रीम खाने का बहुत शौक था।

लंच के बाद फुर्सत के पलों में हमने एक दूसरे का हाल जाना । बातों ही बातों में मैंने पूछ लिया कि क्या तुम अभी भी गाना गाती हो या स्टेज प्रोग्राम करती हो। कंचन ने जबाब दिया “नहीं घर, परिवार, पति ,बच्चों , सास-ससुर से ही मुझे सुबह से शाम तक फुर्सत नहीं रहती है । इन फालतू के बातों के लिए मेरे पास कहां फुर्सत”। मैंने कहा “तुम तो बहुत शौकीन थी इन चीजों की अब ये फालतू हो गये “।

उसने जवाब दिया “अब पति और बच्चों के शौक पूरे करने में पूरा समय चला जाता है । अपने शौक पूरे करने का कहां मेरे पास समय है।फिर मुझे पैसों की जरूरत भी नहीं है । मेरे पति का बिजनेस बहुत अच्छा चलता है तो मैं काम करके क्या करूं । बस अब तो मेरे बच्चे पढ़ लिखकर किसी अच्छी जगह पर सेटल हो जाए। मैं तो बस इतना ही सोचती हूं”।

मेरे बहुत कुरेदने के बाद उसने स्वीकार किया कि आज भी उसे नृत्य करना बहुत पसंद है और वह अपने शौक को पूरा करना चाहती है।वह एक संगीत और नृत्य का विद्यालय खोलना चाहती है लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से वह ऐसा नहीं कर पा रही है या इसके बारे में सोचना नहीं चाहती।

मैं हैरान थी उसकी इन बातों को सुनकर और मन ही मन सोचती थी कि वह इतना कैसे बदल गई। क्या घर गृहस्थी , बच्चों की जिम्मेदारी व उनके शौक पूरा पूरे करने तक ही उसका जीवन है?  क्या उसकी खुद की अपनी कोई जिंदगी नहीं ?

वह एक सफल गृहणी के साथ साथ क्या एक सुखी इंसान भी है ?  क्यों उसने अपने शौक व अपनी इच्छाओं को मार दिया । क्या वह अपने को फिट रखने के लिए , अपने शौक पूरे करने के लिए व अपने को अपडेट रखने के लिए वह थोड़ा सा समय भी नहीं निकाल सकती । वह सफल गृहणी या सुखी गृहणी में से क्या है ?

यह उसकी अपनी सोच थी लेकिन मेरी सोच इससे कहीं अलग है । मैं सोचती हूं कि वह चाहती तो अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ साथ अपने शौक व इच्छाओं को भी पूरा कर सकती थी। काम सिर्फ आप पैसे कमाने के लिए ही नहीं करते हैं। अपने शौक व इच्छाओं को पूरा करने के लिए भी किये जा सकते है । ऐसे अनेक कार्य हैं जिनको आप दूसरों की सहायता के लिए कर सकते हैं।

दिन के पूरे 24 घंटे में से हर महिला को अपने लिए भी कुछ टाइम अवश्य निकालना चाहिए और खासकर वो महिलाओं जो घर में रहती हैं । उनको अपने लिए भी जरूर थोड़ा सा वक्त निकालना चाहिए जिसमें सुकून से बैठकर फुर्सत के दो पल अपने लिए और सिर्फ अपने लिए जिए क्योंकि आप भी एक इंसान हैं और आपकी भी अपनी इच्छाएं व शौक हैं जिन्हें आप अपनी जिम्मेदारियों को सफलतापूर्वक निभाने के साथ साथ पूरा कर सकते है।

जीवन में अपनी इच्छा से काम करने में जो संतुष्ट और आत्मविश्वास मिलता है। वह जीवन को खुशियों से भर देता है। बस शर्त यह है आप अपने लिए ईमानदार रहें क्योंकि यह जीवन सिर्फ एक ही है और इसी जीवन को हमने शानदार ढंग से जीना है।

कई महिलाएं आज नौकरी पेशा होते हुए भी घर की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। साथ में वह अपने लिए भी थोड़ा टाइम जरूर निकाल लेती हैं। जरूरत है हर महिला को अपने बारे में एक बार सोचने की और जरूरी है एक सफल गृहणी के साथ-साथ एक खुश व सुखी इंसान होना।

You are most welcome to share your comments.If you like this post.Then please share it.Thanks for visiting.

यह भी पढ़ें…

  1. मेहनत का कोई विकल्प नही (हिंदी कहानी)
  2. अमृत की प्राप्ति (हिंदी कहानी)
  3. रिश्तों की जमापूंजी (हिंदी कहानी)