A Motivational Story in Hindi : 4 हिन्दी कहानियों
Story – 1
A Motivational Story in hindi
सुंदरता का महत्व
क्या जरूरी शारीरिक सुंदरता या मन की सुंदरता।
एक सभ्रांत प्रतीत होने वाली अतीव सुन्दरी ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं।उसने देखा कि उसकी सीट एक ऐसे व्यक्ति के बगल में है।जिसके दोनों ही हाथ नहीं है।महिला को उस अपाहिज व्यक्ति के पास बैठने में झिझक हुई ।
उस ‘सुंदर’ महिला ने एयरहोस्टेस को कहा कि वह उसके लिए नियत सीट पर सुविधापूर्वक यात्रा नहीं कर पायेगी। क्योंकि साथ की सीट पर एक दोनों हाथ विहीन व्यक्ति बैठा हुआ है।
उस सुन्दरी ने एयरहोस्टेस से सीट बदलने हेतु आग्रह किया।असहज हुई एयरहोस्टेस ने पूछा, “मैम क्या मुझे कारण बता सकती है” ? “सुंदर महिला” ने जवाब दिया: “मैं ऐसे लोगों को पसंद नहीं करती। मैं ऐसे व्यक्ति के पास बैठकर यात्रा नहीं कर पाउंगी “।
दिखने में सभ्रांत और विनम्र प्रतीत होने वाली महिला के यह उद्गार सुनकर एयर हॉस्टेज़ अचंभित हो गई। सुन्दरी ने एक बार फिर एयरहोस्टेस से जोर देकर कहा कि “मैं उस सीट पर नहीं बैठ सकती और मुझे कोई दूसरी सीट दे दी जाए”।
एयरहोस्टेस ने खाली सीट की तलाश में चारों ओर नजर घुमाई।पर कोई भी सीट खाली नहीं दिखी।एयरहोस्टेस ने महिला से कहा कि “मैडम इस इकोनोमी क्लास में कोई सीट रिक्त नहीं है।किन्तु यात्रियों की सुविधा का ध्यान रखना हमारा दायित्व है।अतः मैं वायुयान के कप्तान से बात करती हूँ।कृपया तब तक थोडा धैर्य रखें “।
ऐसा कहकर होस्टेस कप्तान से बात करने चली गई।कुछ समय बाद उसने लौट कर महिला को बताया, “महोदया! आपको जो असुविधा हुई, उसके लिए बहुत खेद है।इस पूरे विमान में केवल एक सीट खाली है।और वह प्रथम श्रेणी में है।मैंने हमारी टीम से बात की और हमने एक असाधारण निर्णय लिया।एक यात्री को इकोनॉमी क्लास से प्रथम श्रेणी में भेजने का कार्य हमारी कंपनी के इतिहास में पहली बार हो रहा है … “।
‘सुंदर’ महिला अत्यंत प्रसन्न हो गई।किन्तु इसके पहले कि वह अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करती और एक शब्द भी बोल पाती।एयरहोस्टेस उस अपाहिज और दोनों हाथ विहीन व्यक्ति की ओर बढ़ गई।और विनम्रता पूर्वक उनसे पूछा “सर, क्या आप प्रथम श्रेणी में जा सकेंगे ? क्योंकि हम नहीं चाहते कि आप एक अशिष्ट यात्री के साथ यात्रा करने की त्रासदी भुगतें” ।
यह सुनकर प्रत्येक यात्री ने ताली बजाकर इस निर्णय का स्वागत किया।वह अतीव सुन्दरी महिला तो अब शर्म से नजरें ही नहीं उठा पा रही थी।तब उस अपाहिज व्यक्ति ने खड़े होकर कहा, “मैं एक भूतपूर्व सैनिक हूँ।और मैंने एक ऑपरेशन के दौरान कश्मीर सीमा पर हुए बम विस्फोट में अपने दोनों हाथ खोये थे ।
सबसे पहले, जब मैंने इन देवी जी की चर्चा सुनी।तब मैं सोच रहा था कि मैंने भी किन लोगों की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली।और अपने हाथ खोये ?
लेकिन जब आप सभी की प्रतिक्रिया देखी तो अब अपने आप पर गर्व महसूस हो रहा है कि मैंने अपने देश और देशवासियों की खातिर अपने दोनों हाथ खोये”।और इतना कह कर, वह प्रथम श्रेणी में चले गए।’सुंदर’ महिला पूरी तरह से शर्मिंदा होकर सर झुकाए सीट में गढ़ गई।
Moral of this story
शारीरिक सुंदरता का महत्व तब तक कुछ नही है।जब तक व्यक्ति का मन,उसके विचार सुंदर न हो। उस अतीव सौंदर्य का भी कोई मूल्य नहीं अगर विचारों में उदारता न हो।शारीरिक सुंदरता के साथ साथ सुंदर विचारों के मालिक बनने की भी कोशिश कीजिए।
सुंदरता का महत्व , यह कहानी मुझे एक परिचित ने भेजी जो मुझे बहुत पसंद आई और मैंने इस कहानी को आप लोगों के साथ शेयर करना उचित समझा बिना किसी बदलाव के।
पढ़िए गीतिका जोशी की प्रेरणादायक कहानी (A Motivational Story in hindi)
Story – 2
बालक की सूझबूझ
A Motivational Story in Hindi
तुषार नाम का एक लड़का रेलवे पटरी से लगे एक छोटे से कस्बे में रहता था।वह जिस कस्बे में रहता था। उसी के समीप रेल की पटरी बिछी हुई थी जिसमें वह रोज रेलगाड़ी को आते जाते देखता था।एक दिन वह सुबह सवेरे टहलने निकला तो उसकी नजर एक जगह रेल की पटरी पर अटक गई।जहां पर रेल की कुछ पटरीयों ट्रेक से उखड़ी हुई थी।
तुषार जानता था कि थोड़ी देर बाद ही वहां से एक ट्रेन गुजरने वाली हैं। वह किसी भीषण दुर्घटना की आशंका से डर गया। अभी वह यह सोच ही रहा था कि उसे दूर से रेलगाड़ी के हॉर्न की आवाज सुनाई दी।तभी अचानक उसके दिमाग में एक ख्याल आया।
उसने पास पड़े एक नुकीले पत्थर से अपनी अंगुली काट ली। अंगुली काटते ही उसमें से खून बह निकला। उस वक्त तुषार ने सफेद रंग की कमीज पहन रखी थी। उसने अपनी अंगुली से निकलने वाला खून अपनी सफेद कमीज में लगा दिया। खून से कमीज धीरे-धीरे लाल रंग में रंग गई।
इसके बाद वह रेलगाड़ी के आने की दिशा में पटरी के समानांतर कमीज को लहराते हुए भागने लगा। रेलगाड़ी के ड्राइवर ने तुषार की लाल रंग की कमीज को दूर से ही देख लिया। और उसे खतरे का आभास हो गया।ड्राइवर ने ट्रेन को दूर ही रोक दिया।
तुषार की एक समझदारी से एक बड़ी घटना होने से बच गई और सैकड़ों लोगों की जान बच गई।
Moral Of The Story
संकट के समय हमेशा सूझबूझ से काम करना चाहिए। अगर धैर्य रखकर सूझबूझ से काम किया जाए तो बड़ी से बड़ी दुर्घटना को भी टाला जा सकता है।
मेहनत का कोई विकल्प नही , A Motivational Story with moral in hindi
Story – 3
पछतावा
A Motivational Story in Hindi
एक छोटा सा गांव था। वहां एक किसान का परिवार रहता था। किसान के परिवार में किसान की पत्नी , 6 महीने का बेटा था ।किसान की पत्नी ने एक नेवला पाल रखा था जो किसान की पत्नी को बहुत ही प्रिय था। किसान प्रतिदिन खेतों में जाता।
किसान की पत्नी अपने छोटे से बच्चे को पालने में सुला कर घर के अन्य कामों में व्यस्त रहती थी। इस दौरान नेवला छोटे बच्चे के पालने के पास ही रह कर बच्चे की देखभाल करता था।
एक दिन किसान की पत्नी पानी लेने के लिए पास के कुएं में गई। इतने में एक सांप घर पर घुस कर पालने में सोए बच्चे तक पहुंच गया था। लेकिन नेवला सतर्क था।उसने सांप को देख लिया था। सांप बच्चे को कोई नुकसान पहुंचाता , इससे पहले नेवला सांप पर झपट गया और सांप को मार डाला।
कुछ देर बाद किसान की पत्नी घर लौटी। उसने देखा कि नेवले का पूरा बदन खून से सना हुआ था। उसके मन में अचानक विचार आया कि कही नेवले ने उसके बच्चे को नुकसान तो नहीं पहुंचा दिया।वह गुस्से से लाल हो गई और उसने पास की छड़ी उठा कर नेवले के सिर में दे मारा। नेवले ने वहीं पर दम तोड़ दिया।
इसके बाद किसान की पत्नी दौड़ी-दौड़ी अंदर गई , तो देखा कि बच्चा सही सलामत था। पालने में सो रहा था। लेकिन पालने के पास ही सांप के टुकड़े टुकड़े बिखरे पड़े थे। यह देख कर किसान की पत्नी की समझ में सब कुछ आ गया।
लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। बच्चे की रक्षा करने वाले नेवले को तो उसने खुद ही मार डाला था। वह अपने किए पर बहुत पछता रही थी।लेकिन वह नेवले को दुबारा जीवित नही कर सकती थी।
Moral Of The Story
इसीलिए कहा गया है बिना सोचे विचारे कोई काम नहीं करना चाहिए। क्योंकि कई बार बिना सोचे विचारे काम करने के बाद पछतावे के अलावा और कुछ नहीं बचता और कई बार काम बिगड़ जाने के बाद उन्हें पुनः सुधारा भी नहीं जा सकता।
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Story – 4
माँ का प्रेम
A Motivational Story in Hindi
बहुत पुरानी बात है। एक नगर में एक महिला अपने नन्हे से बच्चे के साथ एक बगीचे में घूम रही थी। कुछ देर बाद वह थक कर एक जगह बैठ गई। बच्चा भी उसके बगल में ही बैठ कर खेलने लगा।अचानक महिला के आंख लग गई और वह सो गई।
महिला के आँख लगते ही पास में ही बैठी एक निसंतान महिला दौड़ आई और बच्चे को गोद में उठ वहां से भागने लगी।बच्चा जोर जोर से रोने लगा। बच्चे की रोने की आवाज सुनकर मां की आंख खुली। उसने देखा कि एक महिला उसका बच्चा चुरा कर भाग रही है।
वह दौड़ कर उसके पीछे गई और उससे अपना बच्चा छीनने की कोशिश करने लगी। लेकिन दूसरी महिला ने कहा कि यह बच्चा मेरा है। मैं इसे नहीं दूंगी। इस तरह दोनों में काफी देर तक बहस हुई। बाद में मामला अदालत पहुंचा।जज ने दोनों स्त्रियों की बात ध्यान से सुनी।
जज बुद्धिमान थे। उन्होंने पास खड़े दरबान से कहा “जाओ एक तलवार लेकर आओ। मैं बच्चे के दो टुकड़े कर देता हूं। ताकि दोनों महिलाएं बच्चे को आपस में बांट लें। न्यायधीश की बात सुनकर निसंतान महिला तो एकदम शांत खड़ी रही।
लेकिन बच्चे की असली मां चिल्ला उठी “नहीं जज साहब नहीं।आप मेरे बच्चे को मत मारो। मुझे बच्चा नहीं चाहिए। यह बच्चा आप उसी महिला को दे दें। इस तरह मेरा बेटा कम से कम जीवित रहेगा”।
न्यायधीश की समझ में आ गया था कि बच्चे की असली मां कौन है। इस तरह बच्चा उसकी असली मां को दे दिया गया और दूसरी महिला को कारागार में डाल दिया गया।
Moral Of The Story
इसीलिए कहा गया है दुनिया में मां के प्यार से बढ़कर कुछ नहीं होता। मां का प्यार अनमोल होता है। निस्वार्थ होता है। वह अपनी संतान का अंत होते हुए देख नहीं सकती।
A Motivational Story in Hindi
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