3 Motivational Short Story in Hindi : 3 हिन्दी कहानियों
Story – 1
Motivational Short Story in Hindi अमृत की प्राप्ति
सिकंदर महान से तो हम सब वाकिफ हैं ही।एक महत्वाकांक्षी सेनानायक व शासक।वह इस धरती पर अमर रहना चाहता था।इसलिए वह एक बार उस जल की तलाश में निकला जिसे पीने से मानव अमर हो जाते हैं।
काफी दिनों तक भटकने के पश्चात आखिरकार वह एक गुफा में पहुंचा जहां पर अमृत जल बह रहा था।वह उसे देखकर अत्यधिक प्रसन्न हुआ और उसे पीने के लिए दौड़ पड़ा।जैसे ही वह अंजलि में अमृत को लेकर पीने के लिए झुका ही था।
तभी एक व्यक्ति जो उस गुफा के भीतर बैठा था।जोर से बोला “रुक जा इस अमृत रूपी जल को पीने की भूल मत करना वरना बहुत पछताओगे “।
मेहनत का कोई विकल्प नही ( A motivational story with moral in hindi )
सिकंदर यह सुनकर चौक गया और क्रोध से बोला कि “तू कौन है जो मुझे रोकेगा”।वृद्ध व्यक्ति ने कहा ” मैं वही हूं ।जिसने तुमसे पहले यह जल पीने की गलती की है।और आज तक पछता रहा हूं। रहती दुनिया तक मैं इसी पछतावे में और इसी दुर्गति के साथ जीऊँगा”।
फिर व्यक्ति आगे बोला “मैं भी तुम्हारी तरह ही अमृत की खोज में निकला था।और इस गुफा में आकर मेरी खोज पूरी हुई”।
मैंने भी खुशी के मारे यह अमृत पी लिया और अमर हो गया।लेकिन वक्त के साथ-साथ मेरा यह नाशवान शरीर खत्म होता जा रहा है।अब मरना चाहता हूँ।पर अब मैं मर नहीं सकता।देख लो मेरी हालत समय के साथ मेरे शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया।
अंधा हो गया हूँ।और अब ना मुझे सुनाई देता है।ना दिखाई देता है। मैं अब चल फिर भी नहीं सकता हूं।मेरा शरीर खत्म हो गया है।लेकिन फिर भी मैं जीवित हूं।आज मैं मरना चाहता हूं। ईश्वर से हर रोज प्रार्थना कर रहा हूं कि वह मुझे मौत दे दे।लेकिन मैं मर नहीं पा रहा ।
इसीलिए मैं इस गुफा में बरसों से बैठा हूं।ताकि मैं और लोगों को यह गलती करने से रोक सकूं।सिकंदर तुम यह गलती मत करो और वापस चले जाओ।जितना जीवन तुम्हें प्रभु ने दिया है।उसको खुशी-खुशी व आनंद से गुजारो।प्रतिक्षण प्रतिपल जीवन को जियो”।
सिकंदर बिना पानी की एक बूंद पिए चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया।अब तक सिकंदर समझ चुका था कि जीवन का आनन्द उस समय तक ही रहता है।जब तक हम उस आनन्द को भोगने की स्थिति में होते हैं।
Moral of the story
अमृत की प्राप्ति कहानी हमें यह सीख देती है कि दुनियां में वक्त से बड़ा और कोई सिकंदर नहीं।समय बड़ा बलवान होता है जो किसी भी व्यक्ति को राजा से रंक व रंक से राजा बना देता है।
Story – 2
कौवे की चतुराई
Motivational Story in Hindi
एक जंगल में एक पेड़ था और उसमें कौवे का एक जोड़ा घोंसला बनाकर रहता था। इसी पेड़ की जड़ में एक जहरीला सांप बिल बनाकर रहता था। कौवा प्रतिवर्ष अपने घोसले में अंडा देता और जब उन अंडों से बच्चे निकल आते तो , वह सांप अपने बिल से निकलकर घोसले में आकर उन बच्चों को खा जाता था।और कौवे का जोड़ा चिल्लाने और रोने के सिवा कुछ भी नहीं कर पाता था।
कई बार ऐसा हो चुका था।एक बार उसी देश की एक राजकुमारी उसी जंगल में अपनी कुछ सखियों सहेलियों के साथ घूमने आयी। राजकुमारी का पेड़ के पास ही बहने वाली नदी में स्नान करने का मन हुआ।उसने अपने सारे गहने और वस्त्र आदि को उतार कर एक जगह रख दिये और स्नान करने नदी में चली गई।
कौवे को एक युक्ति सूझी।वह सीधे गया और राजकुमारी के हीरों का हार उठाकर ले आया। और उसने उस हार को सांप के बिल के पास रख दिया। राजकुमारी जब नहा कर नदी से बाहर आयी।तो उसे अपना हीरों का हार नहीं मिला। सेविकाओं ने बहुत ढूंढने की कोशिश की। लेकिन हार नहीं मिला।
अब राजकुमारी ने सैनिकों को हार ढूंढने का आदेश दिया। सैनिकों ने सब जगह छान मारा लेकिन हार कहीं नहीं मिला। अचानक एक सैनिक की नजर सांप के बिल पर पड़ी। उन्होंने देखा कि विषैला सांप कुंडली मारकर उस हीरे के हार के पास बैठा हुआ था।
सैनिकों ने लाठी डंडों की मदद से उस सांप को मार डाला और हीरो का हार राजकुमारी को वापस दे दिया। और इस तरह कौवे को भी सदा के लिए सांप से मुक्ति मिल गई।
सुंदरता है महत्व (A motivational story with moral in hindi)
Moral Of The Story
कभी-कभी जो काम ताकत के बल पर नहीं किया जा सकता। उस काम को बुद्धि और चतुराई के साथ आराम से हल किया जा सकता है।
Story – 3
आधी आधी सजा
Motivational Story in Hindi
एक नगर में एक गरीब महिला रहती थी। उसके पति की मृत्यु हो चुकी थी। महिला का एक बेटा था।महिला अपने इकलौते पुत्र से अत्यधिक स्नेह करती थी।इसी लाड प्यार की वजह से उसका बेटा बिगड़ैल हो चुका था।
जैसे जैसे समय बीतता गया।लड़का बड़ा होता गया। उसकी संगति नगर के दूसरे बुरे लड़कों से हो गई। अब वह अपने साथियों से चोरी करना भी सीख गया।
पहले तो वह नगर में छोटी-छोटी चोरियां करता था। लेकिन धीरे-धीरे बड़ी बड़ी चोरियों में भी हाथ आजमाने लगा। नगर के लोग अक्सर उसकी मां के पास आकर उसकी शिकायतें करते थे। लेकिन मां अपने बेटे के प्यार के चक्कर में हमेशा लोगों को ही बुरा भला कहती थी। और अपने बेटे का ही पक्ष लेती थी। वह हमेशा अपने बेटे की गलतियों को नजरअंदाज कर देती थी।
एक दिन अचानक शहर के कोतवाल ने उसे रंगे हाथों चोरी करते हुए पकड़ लिया। उस पर मुकदमा चला और जज साहब ने उसे जेल में रहने की सजा सुनाई। जेल जाते समय लड़के की मां बहुत रो रही थी।
अपनी मां को रोता हुआ देख उसने जज साहब से प्रार्थना की कि वह एक बार अपनी मां से मिलकर उसके कान में कुछ कहना चाहता है। जज साहब ने उसे इसकी इजाजत दे दी।वह दौड़ कर गया और अपनी मां के गले लग गया। फिर अचानक उसने अपने दांतो से अपनी मां का कान जोर से काट दिया।
मां दर्द से चिल्ला उठी। जज साहब ने उससे पूछा “तुमने अपनी मां का कान क्यों काट दिया”। उसने उत्तर दिया “जज साहब , मैं जो चोरियां करता था। उसमें मेरी मां भी बराबर की भागीदार है। इसलिए उसे भी सजा मिलनी चाहिए। इसीलिए मैंने उसे यह सजा दी है”।
जज साहब आश्चर्य से बोले “क्या तुम्हारी मां ने भी चोरियां की”।लड़के ने जवाब दिया “नहीं , मेरी मां ने चोरियां तो नहीं की। लेकिन मेरी मां ने मुझे चोरी करने से कभी रोका भी नहीं। मुझे कभी समझाया ही नहीं कि चोरी करना गलत है।उल्टा वह मेरी गलतियों को नजरअंदाज कर देती थी।
जिस दिन मैंने पहली चोरी की।अगर उसी दिन मेरी मां ने रोक दिया होता तो , आज मैं जेल नहीं जा रहा होता। इसलिए मेरे इस कृत्य में मेरी मां भी बराबर की भागीदार है”। उसके बाद वह जेल की तरफ चला गया।
यह बात सुनकर मां को सच में अपनी गलती का एहसास हुआ। पहली बार उसे लगा कि उसने अपने इकलौते बेटे के प्यार में पड़ कर उसका जीवन ही बर्बाद कर दिया।
Moral Of The Story
अपने बच्चों से लाड प्यार करना ठीक है।लेकिन अधिक लाड प्यार के चक्कर में उनकी बुरी आदतों को बढ़ावा देना ठीक नहीं है। बचपन की छोटी-छोटी बुरी आदतें ही बड़े होकर आदमी को बहुत बड़ा अपराधी बना सकती हैं।
Motivational Story in Hindi
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